ज़िंदगी का सफर तो
तन्हा कटना ही है
शुक्रिया है ऊपर
वाले
तेरी रहमत का
कि थके बदन को
आराम देने के लिये
एक खाली बेंच
और बेरहम मौसमों की
मार झेलने के लिये
एक सूखा दरख़्त तो
कम से कम तूने
हमें बख्शा ही है !
साधना वैद
सुप्रभात
ReplyDeleteशानदार अभिव्यक्ति |