शहीद आया
तिरंगे में लिपटा
मातम छाया !
ऐसे लौटेंगे
परदेसी प्रीतम
कहाँ सोचा था !
व्यर्थ ना करो
सपूत की कुर्बानी
बहा के आँसू !
गर्वित देश
सैनिक के शौर्य पे
मस्तक ऊँचा !
शीश झुकाओ
शहीद की अर्थी है
अदब करो !
जान लुटा के
देश की सुरक्षा में
लौटे घर को !
शत्रु दल को
चुन-चुन के मारा
जीवन हारा !
मान बढ़ाया
खुद खाकर गोली
हमें बचाया !
खामोश पंछी
गुमसुम फिज़ायें
वीर सोया है !
कैसे भूलेगा
शहादत तुम्हारी
कृतज्ञ राष्ट्र !
वीर जवान
देश के अभिमान
तुम्हें सलाम !
साधना वैद
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