चले पटाखे
मन गयी दीवाली
संत्रस्त लोग
नये कपड़े
चिंगारी से सूराख
हुए खराब
अग्नि की वर्षा
बिखरी चिंगारियाँ
झुलसे पौधे
नींद उड़ायें
पटाखों के धमाके
जीना दूभर
लगी चिंगारी
वर्षों की जमा पूँजी
पल में राख
फैलता धुआँ
प्रदूषण बढ़ाए
हैरान रोगी
आतिशबाजी
कुछ देर तमाशा
हवा विषाक्त
चले पटाखे
विषैली हुई हवा
थके फेंफड़े
थोड़ा सा मज़ा
स्वास्थ्य से खिलवाड़
पैसा बर्बाद
किया जम के
धन का अपव्यय
पटाखों पर
दमा बढ़ाए
जोखिम भरा खेल
दूभर जीना
चलाये बम
बढ़ाया प्रदूषण
भुगतें लोग
हवा का धुआँ
जाता है फेंफड़ों में
साँस के साथ
बम की लड़ी
सड़क पर चली
लुढ़के लोग
पटाखा चला
साइकिल सवार
धरा पर गिरा
चले पटाखे
भयभीत परिंदे
दुबके श्वान
साधना वैद
No comments :
Post a Comment