है मिटाना तम अगर
संसार का
दीप हर घर में सजाना
चाहिए
प्रेम और सौहार्द्र
का घृत डाल कर
नेह की बाती जलाना
चाहिए !
दूर हो जायें सभी
शिकवे गिले
सोच कर हर डग बढ़ाना
चाहिए
खिल उठें मुस्कान से
चहरे सभी
हर्ष से उत्सव मनाना
चाहिए !
भूल जायें पल सभी
अवसाद के
कोई ऐसा ढब बताना
चाहिए
बाँट लें मिल कर सभी
के दर्द को
फ़र्ज़ का मतलब सिखाना
चाहिए !
व्यर्थ पुतले को
जलाना है यहाँ
सोच का रावण जलाना
चाहिए
एक दिन के मारने से
ना मिटे
इसे तो हर पल मिटाना
चाहिए !
एक घर रौशन किया तो
क्या किया
ज्योति का पर्वत बनाना
चाहिए
हर्ष का त्यौहार है
दीपावली
रंजो ग़म सबका
मिटाना चाहिए !
चुभ
न जायें शूल पैरों में कहीं
पंथ आलोकित बनाना चाहिए
हर्ष को विस्तार
देने के लिए
प्रेम तरु सबको
लगाना चाहिए !
प्यार से दीपक जलाना चाहिए
तम ज़माने का मिटाना चाहिए !
दीपावली की आप सभी को हार्दिक
शुभकामनाएं
साधना वैद
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