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Friday, October 28, 2016

हर्ष का त्यौहार है दीपावली



है मिटाना तम अगर संसार का

दीप हर घर में सजाना चाहिए

प्रेम और सौहार्द्र का घृत डाल कर

नेह की बाती जलाना चाहिए !



दूर हो जायें सभी शिकवे गिले

सोच कर हर डग बढ़ाना चाहिए

खिल उठें मुस्कान से चहरे सभी

हर्ष से उत्सव मनाना चाहिए !



भूल जायें पल सभी अवसाद के

कोई ऐसा ढब बताना चाहिए

बाँट लें मिल कर सभी के दर्द को

फ़र्ज़ का मतलब सिखाना चाहिए !



व्यर्थ पुतले को जलाना है यहाँ

सोच का रावण जलाना चाहिए

एक दिन के मारने से ना मिटे

इसे तो हर पल मिटाना चाहिए !



एक घर रौशन किया तो क्या किया

ज्योति का पर्वत बनाना चाहिए

हर्ष का त्यौहार है दीपावली

रंजो ग़म सबका मिटाना चाहिए !

  
चुभ न जायें शूल पैरों में कहीं

पंथ आलोकित बनाना चाहिए

हर्ष को विस्तार देने के लिए 

प्रेम तरु सबको लगाना चाहिए !

प्यार से दीपक जलाना चाहिए 

तम ज़माने का मिटाना चाहिए ! 



दीपावली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं



साधना वैद





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