Sudhinama
Followers
Thursday, April 27, 2017
मैं नदी हूँ
बहती रही
अथक निरंतर
मैं सदियों से
करती रही
धरा अभिसिन्चित
मैं सदियों से
साधना वैद
No comments :
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments ( Atom )
No comments :
Post a Comment