मातृ दिवस पर विशेष
मिट्टी से हूँ गढ़ी हुई
चौखट में हूँ जड़ी हुई
छाया हूँ मैं तेरी माँ !
रचना हूँ मैं तेरी माँ !
काँटों के संग उगी हुई
तीक्ष्ण धूप में पगी हुई
कलिका हूँ मैं तेरी माँ !
रचना हूँ मैं तेरी माँ !
युद्ध भूमि में डटी हुई
सुख सुविधा से कटी हुई
सेना हूँ मैं तेरी माँ !
रचना हूँ मैं तेरी माँ !
संघर्षों से दपी हुई
कुंदन जैसी तपी हुई
मूरत हूँ मैं तेरी माँ !
रचना हूँ मैं तेरी माँ !
अंतर्मन पर खुदी हुई
रोम रोम पर रची हुई
कविता हूँ मैं तेरी माँ !
रचना हूँ मैं तेरी माँ !
सात सुरों से सधी हुई
मीठी धुन में बंधी हुई
विनती हूँ मैं तेरी माँ !
रचना हूँ मैं तेरी माँ !
हर पल मेरे पास है तू
हर पल मेरे साथ है तू
धड़कन है तू मेरी माँ !
रचना हूँ मैं तेरी माँ !
साधना वैद
No comments :
Post a Comment