मातृ दिवस पर विशेष
गूँथ दी चोटी
ड्रेस भी है तैयार
माँ का आभार
सपना पुख्ता
भले घर हो खस्ता
हाथ में बस्ता
कौन जगाता
कौन करता चोटी
जो माँ न होती
घर न देख
मेरा हौसला देख
बेटी की माँ हूँ
छोटा सा घर
सुविधा का अभाव
शिक्षा का चाव
मेरा सपना
पूरा करती है माँ
और मैं माँ का
मिले न खाना
बिन किये बहाना
स्कूल है जाना
कहती है माँ
आगे तभी बढ़ूँगी
जो मैं पढूँगी
देख लेना माँ
पाइप से बाहर
मैं ले चलूँगी
छोटा सा घर
सीमित हैं साधन
स्वप्न विशाल
लक्ष्य है साधा
उज्ज्वल भविष्य पे
पूरा करूँगी
माँ और बेटी
पाइप से बाहर
देखें आकाश
करती काम
चाहे बेटी का नाम
माँ को सलाम
दीदी मारेंगी
टूटा जो है बटन
न जाऊँ आज
नहीं डाटेंगी
लगा दिया है पिन
जाना तो होगा
जाउँगी स्कूल
हर सज़ा कबूल
बख्श दे भूल
प्यारा सा रिश्ता
जननी और सुता
दिल के पास
लुटा दूँ सारे
अरमान अपने
बेटी के लिए
माँ हूँ इसकी
है यह बेटी मेरी
है यह बेटी मेरी
सबसे प्यारी
साधना वैद
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