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Tuesday, August 22, 2017

कैसे लूँ विदा - रेल हादसा



कैसे लूँ विदा
वादा किया था मैंने
जल्दी आऊँगा

तुम्हारी साड़ी
अम्मा के लिए गीता
साथ लाऊँगा

टूटा है वादा
किसी और पथ पे
मृत्यु ले चली

देख रहा हूँ
कैसे सुख स्वप्नों की
चिता है जली !

बदले रास्ते
बदली है मंजिल
महा प्रयाण

नैनों में बच्चे
अंतर में तुम हो
घर में प्राण

क्षण भंगुर
मानव का जीवन
रोज़ हादसे

बैठे ही रहें
घर में अगर तो
कमायें कैसे

कैसे आ जाता
मौत ले चली मुझे
अपने साथ

जितना मिला
बहुत सुखद था
हमारा साथ

चाहता तो था
चलना साथ तेरे
वक्त न मिला

प्रभु की इच्छा
जब है यही, करें
किससे गिला

माफ़ करना
अधूरी रह गयी
दास्ताँ हमारी

कौन करेगा
देख भाल बच्चों की
चिंता है भारी

भूल किसीकी
खामियाजा भुगतें
यात्री बेचारे

कहाँ सोचा था
लौट के न जायेंगे
घर बेचारे

करते रहे
औरों की रेखा पढ़
भविष्यवाणी

पढ़ न पाए
अपनी रेखाओं की
छिपी कहानी

विदा दो प्रिये
खड़ा है मृत्यु दूत
बिल्कुल पास

दबा है तन  
मलबे में, मन है
तुम्हारे पास

साधना वैद



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