हिन्दू धर्म
अनेक पर्व परम्पराओं व अनुष्ठानों से समृद्ध है ! विभिन्न सिद्धियों के लिए व हर
प्रकार के कष्टों के निवारण के लिए तैंतीस कोटि देवी देवताओं की पूजा की जाती है !
परन्तु हर पूजा एवं यज्ञ तथा हर प्रकार के शुभ कार्य के आरम्भ में सर्व प्रथम गणेश
जी की ही वन्दना की जाती है ! श्रीगणेश जी का रूप स्वरुप व काया बच्चों व बड़ों
सबके लिए कौतुहल एवं आकर्षण का विषय है ! धार्मिक तथा सामाजिक कार्यक्रमों से थोड़ा
हट कर आधुनिक प्रबंधन ( मैनेजमेंट ) के सन्दर्भ में भी गणेश जी की काया से अनेक
प्रकार की प्रेरणा मिलती है व कई प्रशिक्षक ( ट्रेनर्स ) एवं प्रेरक ( मोटीवेटर्स )
वक्ताओं ने अपने भाषणों में इसका उल्लेख किया है ! आइये हम भी देखें कि गणेश जी का
वृहदाकार एक सफल प्रबंधन के लिए हमें कैसे प्रेरित कर सकता है !
विशाल सिर
– हमारी सोच, हमारे सपने ऊँचे और बड़े होने चाहिए जिससे हम अपनी सफलताओं को ऊँचाई
तक ले जा सकें और अपने उद्योग, अपने संस्थान एवं अपने सहयोगियों को अपार सफलता
दिला सकें ! गणेश जी का सिर हाथी का है जो अपनी अभूतपूर्व स्मरण शक्ति के लिए जाना
जाता है ! एक अच्छा प्रबंधक अपनी अतीत की सफलताओं और विफलताओं को कभी भूलता नहीं
है और उनका सही आकलन और विश्लेषण करके वर्तमान सन्दर्भों में उसका लाभ उठाता है
! जिस प्रकार एक हाथी हर प्रकार से अपने स्वामी के प्रति वफादार होता है एक अच्छा प्रबन्धक
अपने उद्योग के प्रति समर्पित होता है !
बड़े–बड़े
कान – एक सफल प्रबंधक के लिए एक अच्छा श्रोता होना परम आवश्यक है ! प्रबंधक को
चाहिए कि वह सबकी बात सुने जिससे छोटे से छोटे कर्मचारी को भी संतुष्टि हो कि उसकी
बात को महत्त्व दिया गया ! अक्सर बहुत छोटा कर्मचारी भी बहुत उपयोगी सुझाव दे देता
है ! एक अच्छे प्रबंधक का यह गुण होना चाहिये कि वह सबकी बातों को ध्यान से सुन कर
केवल सार को ही ग्रहण करे और फालतू बातों को दूसरे कान से बाहर निकल जाने दे !
लम्बी सूँड
- हर चीज़ का गहराई से और समझ बूझ कर अधययन करने में सूँड एक अत्यंत महत्वपूर्ण
सहायक अंग है साथ ही यह उपयोगी चीज़ों को पास या दूर से उठा कर ग्रहण करने में भी
सहायक होती है ! व्यर्थ व निरर्थक विचारों एवं सलाहों का भली प्रकार निरीक्षण परीक्षण कर त्याग देने
में ज़रा भी समय नहीं लगाती ! वहीं दूर की अच्छी चीज़ों को यदि लीक से हट कर भी
ग्रहण करना पड़े तो उसमें भी देर नहीं लगाती ! अर्थात हमें लकीर का फ़कीर न बने रहने के लिए प्रेरित करती है !
छोटी-छोटी
आँखें – परिस्थितियों का सूक्ष्मता के साथ गहन अध्ययन करने की प्रेरणा देती हैं और
इधर उधर भटकने के स्थान पर अपने लक्ष्य पर ही समग्र ध्यान केन्द्रित किये रहने के लिये प्रेरित करती
हैं !
एक दाँत
- गणेश जी के दो दाँतों में से एक दाँत टूटा हुआ है ! कहा जाता है कि जब महर्षि वेदव्यास गणेश जी से महाभारत के अध्याय लिखवा रहे थे तो उनकी कलम टूट गयी ! व्यवधान
के बाद भी उन्होंने कार्य रुकने न दिया और तत्काल अपना एक दाँत तोड़ कर उससे कलम का
काम लेकर अपना कार्य पूरा किया ! इससे प्रेरणा मिलती है कि किसी भी कार्य के
संपादन में विपरीत स्थितियाँ तो निश्चित रूप से आयेंगी ही लेकिन अपनी बुद्धि का
प्रयोग कर उपलब्ध साधनों का ही प्रयोग करके अपना कार्य पूरा कर लेना चाहिये !
छोटे-छोटे पैर – गणेश जी के छोटे छोटे पैर इतने मजबूत हैं कि उनके पूरे शरीर का भार उठा
लेते हैं ! यहाँ तक कि अनेक स्थानों पर गणेश जी को नृत्य करते हुए भी दिखाया जाता है
! इसी प्रकार एक अच्छे प्रबंधक को प्रफुल्ल चित्त से पूरी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर
लेने की क्षमता रखनी चाहिए और किसी भी विषम परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए ! कितना भी बड़ा दायित्व हो उसकी
सारी सफलताओं और विफलताओं का दायित्व भी उसे खुद ही उठाना चाहिये !
बड़ा पेट
– किसी भी काम को करने में अनेक अच्छे व बुरे अनुभवों से दो चार होना अवश्यम्भावी
है ! यश अपयश भी मिलता है परन्तु इनको अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिये और इन
सब बातों को शान्ति से पचा लेने की क्षमता भी एक अच्छे प्रबंधक में होनी चाहिए !
हर उद्योग, व्यापार या संस्थान की अनेक गोपनीय जानकारियाँ व सूचनाएं होती हैं
जिनको अपने तक ही सीमित रखने की क्षमता भी होनी चाहिए ! सहयोगियों की कमजोरियों को
भी अपने तक ही रख कर हम उनका सर्वश्रेष्ठ सहयोग प्राप्त कर सकते हैं व उनके
वास्तविक नायक बन सकते हैं !
चार हाथ
– श्रीगणेश के चार हाथ मनुष्य के लिए सुझाए गए चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम व
मोक्ष की प्राप्ति के द्योतक हैं ! एक मैनेजर के सामने अनेक लक्ष्यों को प्राप्त
करने का दायित्व होता है ! लक्ष्य को समय से हासिल करना, लक्ष्य को अपने सीमित
संसाधनों में ही प्राप्त करना, काम करने वाले समस्त कर्मचारियों की सुविधाओं का
ध्यान रखते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करना साथ ही निर्धारित नियमों को बिना तोड़े
हुए इस प्रकार सफलता प्राप्त करना कि हमारे यश एवं प्रभाव में चहुँ ओर वृद्धि हो इसी
बात का ध्यान रखते हुए काम करने की प्रेरणा बप्पा के ये चार हाथ हमें देते हैं !
वाहन मूषक
– श्रीगणेश जी का वाहन मूषक है ! यह दर्शाता है कि गणेश जी ने व्यर्थ के दिखावे की
परवाह न कर जो कुछ उन्हें सहज रूप से उपलब्ध हुआ उसीसे अपना काम चला लिया ! यह
उनके त्याग व सादगीपूर्ण जीवनदर्शन की ओर संकेत करता है ! ये ही गुण किसी भी
प्रबंधक को नायक से महानायक बनाने में सहायक हो सकते हैं !
तो देखा
आपने हमारे गणपति महाराज अपने आप में ही एक सम्पूर्ण प्रबंधन संस्थान हैं और उनमें एक
अच्छे प्रबंधक होने के सारे गुण मौजूद हैं ! अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम
उनसे क्या और कितना सीख पाते हैं और कितना अपने जीवन में उतार पाते हैं !
गणपति
बप्पा मोरया !
साधना
वैद
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