शिक्षक दिवस पर विशेष
गुरू रहे ना देव सम, शिष्य रहे ना भक्त
बदली दोनों
की मती, बदल गया है वक्त !
शिक्षक व्यापारी
बना, बदल गया परिवेश
त्याग
तपस्या का नहीं, रंच मात्र भी लेश !
बच्चे
शिक्षक का नहीं, करते अब सम्मान
मौक़ा एक
न छोड़ते, करते नित अपमान !
कहते
विद्या दान से, बड़ा न कोई दान
लेकिन
लालच ने किया, इसको भी बदनाम !
कोचिंग
कक्षा की बड़ी, मची हुई है धूम
दुगुनी
तिगुनी फीस भर, माथा जाये घूम !
साक्षरता
के नाम पर, कैसी पोलम पोल
नैतिकता
कर्तव्य को, ढीठ पी गए घोल !
सच्चे
झूठे आँकड़े, भरने
से बस काम
प्रतिशत
बढ़ना चाहिए, साक्षरता के नाम !
कक्षा
नौ में छात्र सब, दिए गए हैं ठेल
जीवन के
संघर्ष में, हो जायेंगे फेल !
लिख ना पायें
नाम भी, ना सीखा कुछ काम !
करना
होगा पितृ सम, शिक्षक को व्यवहार
रखें शिष्य
भी ध्यान में, सविनय शिष्टाचार !
अध्यापक
और छात्र में, हो न परस्पर भीत
जैसे
भगवन भक्त में, होती पावन प्रीत !
गुरु होते भगवान सम, करिए उनका मान
विद्यार्थी संतान सम, रखिये उनका ध्यान !
साधना
वैद
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