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Saturday, May 11, 2019

गुलमोहर – मेरा आइना




मेरे सबसे अच्छे दोस्त
मेरे हमदम, मेरे हमराज़,  
मेरे हमनवां, मेरे हमखयाल,
मेरे प्यारे गुलमोहर
हैरान हूँ कि कैसे तुम्हें
मेरे दिल के हर जज़्बात की
खबर हो जाती है
और ना जाने कैसे
मेरे दिल की हर पोशीदा बात
तुम्हारे सुर्ख फूलों की जुबानी
सरे आम हो जाती है !
मृदुल वासंती हवा के
पहले परस के साथ ही
तुम भी पुलकित हो उसी तरह
शर्मा कर लाल हो जाते हो
जैसे नवोढ़ा प्रियतमा की तरह
प्रियतम के प्रथम स्पर्श से
संकुचित हो कभी मैं
सुर्ख हो गयी थी !
मानसिक संताप की बेला में
अंतर में धधकते दावानल के
भीषण ताप को भी तुम्हारे
सुर्ख फूल ही इतनी मुखर
अभिव्यक्ति देते से लगते हैं
कि मुझे यकीन होने लगता है
कि मेरी आहों की आँच
इतनी दूर से भी उन्हें भी
महसूस तो ज़रूर हो रही होगी !   
विरह विदग्ध हृदय की वेदना
की बाढ़ जब अश्रुओं के रूप में
मेरी आँखों से ढलती है
तो तुम्हारे इन्हीं रक्तिम पुष्पों में  
मुझे अपने सूजे हुए
लाल सुर्ख नेत्रों का अक्स  
दिखाई देने लगता है !
सच है प्यारे गुलमोहर
तुम हर तरह से जैसे
मेरा ही आइना हो !
इसीलिये तो तुम्हारे
हर रूप हर रंग में
मुझे अपना ही प्रतिबिम्ब
दिखाई देता है !



साधना वैद  





10 comments :

  1. सुन्दर रचना

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  2. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-05-2019) को

    "मातृ दिवस"(चर्चा अंक- 3333)
    पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    ....
    अनीता सैनी

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  3. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !

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  4. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  5. बहुत खूब ..सादर नमस्कार

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १३ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  7. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! आभार आपका !

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  8. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  9. बहुत सुंदर रचना 👌

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  10. हृदय से आपका धन्यवाद एवं आभार अनुराधा जी !

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