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Tuesday, January 26, 2021

दिव्य प्रसंग - दिव्य छटा


 

आया है गणतंत्र का, शुभ दिन देखो आज
दुल्हन सी दिल्ली सजी, हर्षित सकल समाज !

संविधान की शान से, दिवस बन गया ख़ास 
भारत में लागू हुआ, लोकतंत्र का राज ! 


गूँज रहे हैं पार्श्व में, देश भक्ति के गीत
उमड़ पड़ा सारा शहर, डरा न पाई शीत !


सीना फूला गर्व से, आँख अश्रु से लाल 
मर के सम्मानित हुए, भारत माँ के लाल !


बढ़ते सीना तान के, पथ पे वीर जवान
कदम मिला कर चल रहे, ऊँट, अश्व अरु श्वान !


भारत संस्कृति की छटा, सैन्य शक्ति का जोश
   देख विश्व विस्मित हुआ, प्रजा हुई मदहोश ! 
  

बच्चों के उत्साह की, महिमा अपरम्पार
गीत नृत्य और बैंड से, मोहा मन हर बार !


अद्भुत करतब देख के, दर्शक हैं हैरान
ध्वजा बनाते उड़ रहे, नभ में विकट विमान  !


गज पर बैठे शान से, बच्चों के सरताज 
उनके अद्भुत शौर्य पर, गर्वित हर जन आज !


अपने इस गणतंत्र से, हमें बहुत है प्यार  
इसकी रक्षा हित सदा, मिटने को तैयार !  


साधना वैद

8 comments :

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (27-01-2021) को  "गणतंत्रपर्व का हर्ष और विषाद" (चर्चा अंक-3959)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

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  2. उम्दा रचना |जय गनतंत्र

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद जीजी ! गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  3. इसकी गरिमा बनी रहनी चाहिए

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    1. जी बिलकुल सहमत हूँ आपसे गगन जी ! कल की हिंसा और उपद्रव बड़ी गहरी चोट दे गए ! अपने ही देश में अपने ही देशवासियों की अपनी ही सरकार के खिलाफ यह अराजकता शर्मिन्दा कर गयी सभी भारतवासियों को विश्व बिरादरी के सामने !

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  4. आपने राजपथ की फेरी लगवा दी. वाह !

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    1. आपको आनंद आया मेरा श्रम सफल हुआ ! हार्दिक धन्यवाद आपका !

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