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Monday, February 3, 2025

आगमन वसंत का

 



पुलकित वसुधा किये हुए है कैसा यह अतुलित श्रृंगार
लिए हाथ में थाल सुसज्जित खड़ी खोल कर स्वागत द्वार
हुआ आगमन प्रियतम का, अब होगा हर दुविधा का अंत   
होंगे तृप्त नयन आतुर अब होंगे प्रगट हृदय उद्गार !

आ गयी मनोहर मन भावन यह पावन ऋतु मधुमास की 
गा रहे विहग हुलसित मन से करते बतियाँ मृदु हास की
आया वसंत धीरे-धीरे, हाथों में ले फूलों के बाण
चहुँ ओर महक है फ़ैल रही सुरभित सुमनों की श्वास की !

खेतों में लहराई सरसों, हरियाली छाई मधुबन में
पीले चावल की खुशबू से, हर कोना सुरभित है घर में
माता सरस्वती का दिन है हम नत शिर उनका ध्यान धरें
आओ बाँटें मिल कर ख़ुशियाँ, हों स्वस्थ सुखी सब जीवन में !  

 

साधना वैद




 

 

 


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