छन्न पकैया छन्न पकैया, मुश्किल है अब जीना
ग़म ही ग़म इनके जीवन में, पड़ता आँसू पीना !
छन्न पकैया छन्न पकैया, बहती उलटी धारा
आसमान के नीचे इनका, कटता जीवन सारा !
छन्न पकैया छन्न पकैया, अब सुन लो त्रिपुरारी
दूर करो इनकी भव बाधा, विघ्न विनाशक हारी !
छन्न पकैया छन्न पकैया, तुमको आना होगा
मौसम की विपरीत मार से, इन्हें बचाना होगा !
छन्न पकैया छन्न पकैया, आने को है होली
निर्धन रहे न कोई जग में, भर दो सबकी झोली !
छन्न पकैया छन्न पकैया, क्यों अनर्थ यह होता
कुछ की किस्मत में धन दौलत, भाग्य किसी का सोता
!
छन्न पकैया छन्न पकैया, प्रगटो अब गिरिधारी
ध्यान धरो अपने भक्तों का, हर लो विपदा सारी !
छन्न पकैया छन्न पकैया, विकट समय यह कैसा
लाज बचाओ अपनी गिरिधर, करो पराक्रम ऐसा !
साधना वैद
सुंदर , मारमैक एवं भावपूर्ण कविता 🙏🏽 माधव कृपा करें 🙏🏽
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अदिति जी ! आभार आपका !
Deleteवाह! साधना जी ,बहुत खूब!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शुबा जी ! आपकी सराहना मिली मेरा लिखना सफल हुआ ! आभार आपका !
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