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Saturday, February 8, 2025

छन्न पकैया छन्न पकैया

 



छन्न पकैया छन्न पकैया, मुश्किल है अब जीना

ग़म ही ग़म इनके जीवन में, पड़ता आँसू पीना  !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, बहती उलटी धारा

आसमान के नीचे इनका, कटता जीवन सारा !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, अब सुन लो त्रिपुरारी

दूर करो इनकी भव बाधा, विघ्न विनाशक हारी !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, तुमको आना होगा

मौसम की विपरीत मार से, इन्हें बचाना होगा !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया,  आने को है होली

निर्धन रहे न कोई जग में, भर दो सबकी झोली !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, क्यों अनर्थ यह होता

कुछ की किस्मत में धन दौलत, भाग्य किसी का सोता ! 

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, प्रगटो अब गिरिधारी

ध्यान धरो अपने भक्तों का, हर लो विपदा सारी !

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, विकट समय यह कैसा

लाज बचाओ अपनी गिरिधर, करो पराक्रम ऐसा ! 

 

 चित्र - गूगल से साभार 



साधना वैद

 

 

 


4 comments :

  1. सुंदर , मारमैक एवं भावपूर्ण कविता 🙏🏽 माधव कृपा करें 🙏🏽

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    1. हार्दिक धन्यवाद अदिति जी ! आभार आपका !

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  2. वाह! साधना जी ,बहुत खूब!

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    1. हार्दिक धन्यवाद शुबा जी ! आपकी सराहना मिली मेरा लिखना सफल हुआ ! आभार आपका !

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