पितृ दिवस पर विशेष
बाबूजी मेरे
घने बरगद का
साया हों जैसे !
मन्त्र आपका
श्रम और तप का
जीत दे गया !
झूला तो झूले
आपकी बाहों जैसा
झूला है कहाँ !
हर चिंता का
समाधान होते थे
मेरे बाबूजी !
अनुशासन
संयम औ नियम
सीखे आपसे !
पकड़ कर
बाबूजी की उँगली
नापा जहान !
जब उछाला
हवा में बाबूजी ने
छुआ गगन !
सद्विचार और
सही जीवन मूल्य
दिये आपने !
ऋण आपका
उतार न पायेंगे
जीवन भर !
आज भी आप
आदर्श हैं हमारे
सदा रहेंगे !
साधना वैद
हाइकु बहुत गूढ़ विचार लिए |
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