मेरे मौला
तेरी रहमत का शुक्रिया
कि तूने मेरे हाथों में
कंदील देकर मुझे
ज़रूरतमंदों की राह के
अंधेरों को दूर करने की
तौफीक अता की !
बस इतनी सी
इल्तिजा और है कि
कभी मुझमें इतनी
खुदगर्ज़ी, गुरूर और बेदिली
न आने देना कि कभी
दूसरों की तकलीफों से
बेखबर हो मैं
बेमुरव्वती के साथ
अपनी राह बदल दूँ
और तमाम मज़लूमों को
ठोकर खाने के लिये
तारीक राहों पर
तनहा छोड़ दूँ !
आमीन !
साधना वैद
बहुत खूबसूरत अल्फाज लिए रचना |
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