हैदराबाद इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र कुल्लू मनाली की सुरम्य वादियों में अपनी छुट्टियाँ मनाने के लिये आये थे ! सारे नौजवान, उत्साह, उल्लास और जोश खरोश से भरपूर ! किसे पता था कि वे यहाँ काल कवलित होने के लिये आ रहे हैं ! किसकी गलतियों की सज़ा उन्हें मिली है ! सुबह से इसी न्यूज़ पर सारा ध्यान केंद्रित है ! सभी एक दूसरे पर दोष मढ़ने के लिये तैयार हैं ! लारजी डैम के अधिकारी कहते हैं कि बाँध का पानी छोड़ने से पहले चेतावनी दी गयी थी ! छात्रों की ओर से जो प्रतिनिधि रिपोर्टर्स के साथ बात कर रहे थे वे कह रहे थे कि कोई चेतावनी नहीं दी गयी थी ना ही उस स्थान पर, जहाँ छात्र रिवर राफ्टिंग कर रहे थे, कोई खतरे का साइनबोर्ड ही लगा हुआ है !
जब व्यास नदी में रिवर राफ्टिंग की ही जाती है तो बाँध से पानी छोड़ते
समय लारजी डैम के अधिकारियों ने पहले सुनिश्चित क्यों नहीं किया कि नदी में कोई
राफ्टिंग तो नहीं कर रहा है ? इसके लिये कौन उत्तरदायी है ? और जिस पॉइंट से राफ्टिंग
की जाती है वहाँ के अधिकारियों या कर्मचारियों से पहले पूछा क्यों नहीं गया कि
पानी छोड़ रहे हैं कोई नदी में है तो नहीं ? यह दुर्घटना संवादहीनता की वजह से हुई
है ! डैम के अधिकारियों को पानी छोड़ने से पहले राफ्टिंग पॉइंट के संचालकों से बात
करनी चाहिए और जब वे सकारात्मक जवाब दें तब ही पानी छोड़ना चाहिए ! यदि आप लोगों को
ध्यान हो तो इसी तरह की दुर्घटना कुछ साल पहले इंदौर के पाताल पानी में भी हुई थी
जब इसी तरह पीछे से पानी का बहुत तेज़ रेला आया था और कई लोग असंतुलित होकर बहते
हुए पानी के साथ झरने से कई फुट नीचे गिर गये थे और अपनी जान गँवा बैठे थे ! ऐसा क्यों है कि
हम गलतियों पर गलतियाँ करते जाते हैं और उनसे कभी सबक नहीं लेते ! अगर लेते होते
तो आज की कुल्लू की यह दुर्घटना घटित नहीं होती !
इस लापरवाही का खामियाजा उन कई परिवारों को भुगतना पड़ेगा जिनकी तपस्या
का सुपरिणाम निकलने को था लेकिन उन्हें अनायास गहरे अंधकूप में फेंक दिया गया है !
इनमें से कई बच्चे अपने घर परिवार के मजबूत स्तंभ के रूप में दायित्व उठाने लिये
तैयार होकर अपनी शिक्षा के समापन की ओर चरण बढ़ा रहे थे ! इस हृदय विदारक घटना की
क्षतिपूर्ति किस मुआवजे से की जा सकती है ? क्या हमारी पंगु, लचर और गैरजिम्मेदार व्यवस्था
इस घटना से कुछ सबक लेगी और इस बात का वचन दे सकेगी कि भविष्य में कभी ऐसी घटनाओं
की पुनरावृत्ति नहीं होगी ?
साधना वैद
बहुत सही लिखा है |
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