बनी जोगन
धार केसरी बाना
तजा संसार
मीरा विरक्त हुई
हुए रंग असार !
अस्त होने को
सुनहरे से लाल
हुआ सूरज
रक्तिम मुख लिये
छिपा नीलांचल में !
सावन आया
धानी चूनर ओढ़
धरा मुस्काई
पीले गोटे के फूल
पल्लू में टाँक लाई !
सजा व्योम में
लाल, नारंगी, नीला
पीला सुंदर
न्यारा इन्द्रधनुष
जगती सारी खुश !
साधना वैद
उत्तम प्रयास |
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