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Tuesday, November 12, 2019

विडम्बना - एक लघुकथा

Image may contain: 4 people, people on stage

टी वी पर धारावाहिक ‘महाभारत’ का प्रसारण चल रहा था ! आज का प्रसंग द्रौपदी के चीर हरण का था ! मुझे यह एपीसोड विशेष रूप से पसंद है ! द्रौपदी की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री का अभिनय भी कमाल का और संवाद तो बहुत ही बढ़िया ! जब द्रौपदी के आग्नेय प्रश्नों के सामने सभा में उपस्थित सभी विद्वान् निरुत्तर हो जाते हैं और माधव उसकी साड़ी बढ़ाते चले जाते हैं यह दृश्य भी मुझे विशेष प्रिय है ! सारा काम निबटा कर अपनी चाय का कप लेकर मैं इत्मीनान से टी वी के सामने आ बैठी !

द्रौपदी अपनी आँखें बंद कर गोविन्द का ध्यान कर रही है ! सारी सभा शोकमग्न और लज्जित दिखाई देती है बस दुर्योधन का क्रूर हास्य गूँज रहा है ! तभी मेरी काम वाली बाई रोनी शक्ल बना कर मेरे सामने आ खड़ी हुई ! कार्यक्रम में बाधा पड़ने से मैं खिन्न थी !
“क्या बात है ?” मैंने तिक्त स्वर में पूछा !
“कल रात फिर बेटे को तीन चार लौंडों के संग पुलिस ने पकड़ लिया ! छुड़ाने के लिए बहुत पैसे माँगते हैं ! आपकी मदद चाहिए ! ”
“अरे ! समझाती क्यों नहीं उसे ! जुआ खेलना कोई अच्छी बात है ?”
“सिखाती तो बहुत हूँ बहूजी पर कह देता है भगवान् भी तो खेलते थे ! वो तो अपना राज पाट, भाई, घरवाली सबको हार गए ! हम ऐसा तो नहीं करते ! सिर्फ हज़ार पाँच सौ का ही तो खेलते हैं !”
मैंने घबरा कर फ़ौरन टी वी बंद कर दिया !


साधना वैद

9 comments :

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-11-2019) को      "गठबन्धन की नाव"   (चर्चा अंक- 3518)     पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. साधना दी, बहुत मासूम और तर्कपूर्ण सवाल कि भगवान भी तो खेलते थे। सही में कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनके जवाब नहीं होते। बहुत सुंदर रचना।

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद शोभना जी ! आभार आपका !

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  4. वाह!!साधना जी ,बहुत खूब !तर्क तो उसका वाजिब ही था ,पर कुछ सवाल अनुत्तरित ही रह जाते हैं ।

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    1. जी शुभा जी ! पलों के सुख में जीने वाले ये लोग दूरगामी परिणामों तक नहीं सोच पाते ! हार्दिक धन्यवाद आपका !

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  5. Replies
    1. यही तो विडम्बना है कि जो धर्म और आदर्श के शीर्ष पर बैठे हैं वही इतने दुष्कर्म करते हुए दिखाए जाते हैं ! लोग तो उन्हें ही अपना आदर्श मान लेते हैं ! हार्दिक धन्यवाद आपका !

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