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Thursday, November 21, 2019

टुकड़ा टुकड़ा आसमान




अपने सपनों को नई ऊँचाई देने के लिये
मैंने बड़े जतन से टुकड़ा टुकड़ा आसमान जोड़ा था
तुमने परवान चढ़ने से पहले ही मेरे पंख
क्यों कतर दिये माँ ?
क्या सिर्फ इसलिये कि मैं एक बेटी हूँ ?
  
अपने भविष्य को खूबसूरत रंगों से चित्रित करने के लिये
मैने क़तरा क़तरा रंगों को संचित कर
एक मोहक तस्वीर बनानी चाही थी
तुमने तस्वीर पूरी होने से पहले ही
उसे पोंछ क्यों डाला माँ ?
क्या सिर्फ इसलिये कि मैं एक बेटी हूँ ?

अपने जीवन को सुख सौरभ से सुवासित करने के लिये
मैंने ज़र्रा ज़र्रा ज़मीन जोड़
सुगन्धित सुमनों के बीज बोये थे
तुमने उन्हें अंकुरित होने से पहले ही
समूल उखाड़ कर फेंक क्यों दिया माँ ?
क्या सिर्फ इसलिये कि मैं एक बेटी हूँ ?

अपने नीरस जीवन की शुष्कता को मिटाने के लिये
मैंने बूँद बूँद अमृत जुटा उसे
अभिसिंचित करने की कोशिश की थी
तुमने उस कलश को ही पद प्रहार से
लुढ़का कर गिरा क्यों दिया माँ ?
क्या सिर्फ इसलिये कि मैं एक बेटी हूँ ?

और अगर हूँ भी तो क्या यह दोष मेरा है ?

साधना वैद


18 comments :

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 22 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

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  2. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२३ -११ -२०१९ ) को "बहुत अटपटा मेल"(चर्चा अंक- ३५२८) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  3. माँ का उत्तर : मैं तेरा दर्द समझती हूँ बिटिया ! पर क्या करूं? स्त्री-दमन की कुल-परंपरा तो मुझे भी निभानी ही होगी !

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    1. कटु सत्य को उद्घाटित करता बिलकुल सटीक प्रत्युत्तर गोपेश जी ! हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका !

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  4. बहुत सुंदर रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी !

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  5. महत्वपूर्ण प्रश्नों से टांक दिया मां को.. पर मां जवाब देगी भी तो क्या देगी कविता पढ़ने के बाद कुछ ऐसे ही प्रश्न मेरे दिमाग पर कौंध रहे हैं
    मां और बेटी के बीच भावनात्मक रिश्ते को समझाते हुए बहुत ही अच्छी रचना आपने लिखी

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    1. हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! अच्छा लगा रचना आपके हृदय को स्पर्श कर सकी !

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  6. बहुत सुंदर रचना...

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    1. हार्दिक धन्यवाद शुक्ला जी ! आभार आपका !

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  7. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    24/11/2019 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप जी ! सादर वन्दे !

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  8. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार !

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  9. उत्तम सृजन ,
    सादर ...

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    1. हार्दिक धन्यवाद नीलांश जी ! आभार आपका !

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