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Thursday, November 14, 2019

आहट



कहीं यह तुम्हारे आने की आहट तो नहीं !

घटाटोप अन्धकार में
आसमान की ऊँचाई से
मुट्ठी भर रोशनी लिये
किसी धुँधले से तारे की
एक दुर्बल सी किरण
धरा के किसी कोने में टिमटिमाई है !
कहीं यह तुम्हारी आने की आहट तो नहीं !

गहनतम नीरव गह्वर में
सुदूर ठिकानों से
सदियों से स्थिर
सन्नाटे को चीरती
एक क्षीण सी आवाज़ की
प्रतिध्वनि सुनाई दी है !
कहीं यह तुम्हारे आने की आहट तो नहीं !

सूर्य के भीषण ताप से
भभकती , दहकती
चटकती , दरकती ,
मरुभूमि को सावन की
पहली फुहार की एक
नन्हीं सी बूँद धीरे से छू गयी है !
कहीं यह तुम्हारे आने की आहट तो नहीं !

पतझड़ के शाश्वत मौसम में
जब सभी वृक्ष अपनी
नितांत अलंकरणविहीन
निरावृत बाहों को फैला
अपनी दुर्दशा के अंत के लिये
प्रार्थना सी करते प्रतीत होते हैं
मेरे मन के उपवन में एक
कोमल सी कोंपल ने जन्म लिया है !
कहीं यह तुम्हारे आने की आहट तो नहीं !


साधना वैद

14 comments :

  1. बहुत खूब लिखा है |"कोमल सी कोंपल ने जन्म लिया है
    कहीं यह तुम्हारे आने की आहात तो नहीं |"

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  2. हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. वाह बहुत खूब लिखा है आपने!

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    1. हार्दिक धन्यवाद उर्मिला जी ! स्वागत है आपका ! दिल से आभार !

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  4. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 नवंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद दिग्विजय जी ! दिल से आभार एवं सादर वन्दे !

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  6. वाह वाह वाह...
    सबसे बेहतरीन।
    बूंद का छूना
    कोंपल का फूटना
    गजब।

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    1. हार्दिक धन्यवाद रोहितास जी ! आभार आपका !

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी ! दिल से आभार आपका !

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  8. जी बेहतरीन प्रस्तुति

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुजाता जी ! बहुत बहुत आभार !

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