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Monday, April 14, 2025

बेला के फूल

 




बेला के ये फूल 

कितने सुन्दर, 

कितने सुवासित 

जैसे अधरों पे सजी 

तुम्हारी मधुर मुस्कान, 

जैसे हवाओं में तैरते 

तुम्हारे सुरीले स्वर ! 

हरे कर जाते हैं 

मेरा तन मन और 

मेरे आकुल प्राण ! 

चाहता हूँ गूँथना

एक मोहक सा गजरा 

तुम्हारी वेणी के लिए 

सुरभित हो जाए जिससे 

ये फिजा और महक जाए 

हमारा भी जीवन 

बेला के इन फूलों की तरह ! 

इन सुन्दर फूलों का 

यह सन्देश पावन कर दे हमारा मन 

और सार्थक कर दे 

हमारा प्रयोजन ! 


साधना वैद  

8 comments :

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 15 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी ! आपका हृदय से आभार ! सादर वन्दे !

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  2. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद प्रियंका जी ! आभार आपका !

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  3. सुगंधित कोमल रचना ।

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    1. दिल से आभार नूपुरम जी ! हार्दिक धन्यवाद !

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  4. वाह! बहुत खूबसूरत सृजन!

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    1. हार्दिक धन्यवाद हुभा जी ! दिल से आभार आपका !

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