बेला के ये फूल
कितने सुन्दर,
कितने सुवासित
जैसे अधरों पे सजी
तुम्हारी मधुर मुस्कान,
जैसे हवाओं में तैरते
तुम्हारे सुरीले स्वर !
हरे कर जाते हैं
मेरा तन मन और
मेरे आकुल प्राण !
चाहता हूँ गूँथना
एक मोहक सा गजरा
तुम्हारी वेणी के लिए
सुरभित हो जाए जिससे
ये फिजा और महक जाए
हमारा भी जीवन
बेला के इन फूलों की तरह !
इन सुन्दर फूलों का
यह सन्देश पावन कर दे हमारा मन
और सार्थक कर दे
हमारा प्रयोजन !
साधना वैद
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 15 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी ! आपका हृदय से आभार ! सादर वन्दे !
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रियंका जी ! आभार आपका !
Deleteसुगंधित कोमल रचना ।
ReplyDeleteदिल से आभार नूपुरम जी ! हार्दिक धन्यवाद !
Deleteवाह! बहुत खूबसूरत सृजन!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद हुभा जी ! दिल से आभार आपका !
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