नव कुसुमित पुष्पों से वन में
करते हैं तरुवर श्रृंगार
मधु पीने को व्याकुल भँवरे
करते हैं मधुरिम गुंजार
पवन मंजरी की खुशबू ले
उड़ी क्षितिज की सीमा तक
पल भर में हो गए सुवासित
धरती अम्बर और संसार !
बहुत सुंदर।
हार्दिक धन्यवाद शिवम जी ! आभार आपका !
सुंदर प्रस्तुति
हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शिवम जी ! आभार आपका !
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !
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