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Wednesday, April 30, 2025

पेट की आग

 



देर रात घर की कुंडी खड़की तो धड़कते कलेजे को दोनों हाथों से थाम सलमा बी ने धीरे से खिड़की का पर्दा सरका कर कनखियों से बाहर देखा ! शकील को बाहर खड़ा देख उनकी जान में जान आई ! दरवाज़ा खोल झट से उसे अन्दर कर सलमा बी ने फिर से दरवाज़े की कुंडी चढ़ा दी !

 

शकील ने अपनी जेब से कुछ रुपये और हाथ में पकड़ा हुआ नाज का थैला अम्मी को थमाते हुए कहा, “किफायत से खर्च करना अम्मी ! अब जाने कब खरीदने की जुगत लगे ! मैं कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूँ अम्मी फिकर मत करना ! हालात ठीक होते ही मैं घर वापिस आ जाउँगा !”

 

सलमा बी परेशान हो उठीं ! वो शकील के सामने तन कर खड़ी हो गईं और भेदने वाली नज़रों से शकील  को घूरते हुए पूछा ! 

“सच बता शकील कहाँ जा रहा है तू और क्यों जा रहा है ? तुझे मुँह छिपाने की ज़रुरत क्यों पड़ रही है ?  तेरे अब्बू ने मरते दम तक हमेशा मेहनत की और ईमानदारी से यह घर चलाया,

सच -सच बता अभी जो थोड़े बहुत हालात सुधरे हैं  उसमें किसी गुनाह के रास्ते आई हुई कमाई का शुमार तो नहीं है ना ?

 

शकील सकते में था, “अम्मी, मुझसे कुछ मत पूछो

इस समय ! बस इतना ही कह सकता हूँ कि पेट की आग को बुझाने के लिए रुपयों की ज़रुरत होती है ! फिर वो कहीं से भी मिलें ! मुझे जहाँ से मिले बिना कोई सवाल पूछे मैंने ले लिए ! ”

अगर ऐसा है तो यह हराम की कमाई मुझे कबूल नहीं !”  सलमा बी की आवाज़ काँप रही थी और आँखों से शोले बरस रहे थे !

 

शकील सलमा बी से नज़र मिलाए बिना तेज़ी से बाहर निकल गया !

 

साधना वैद


3 comments :

  1. सुंदर प्रस्तुति

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    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !

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  2. हार्दिक धन्यवाद दिग्विजय जी ! आभार आपका ! सादर वन्दे !

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