यह कविता मैं अपनी सबसे अंतरंग और घनिष्ठ सखी को समर्पित कर रही हूं ! नहीं मालूम वह कभी इसे पढेगी या नहीं लेकिन मेरे मन के ये उदगार हवा के पंखों पर सवार हो उस तक पहुँच जायेंगे तो मुझे बहुत खुशी होगी !
मैं सुधियों के स्वप्नलोक में खोई हूँ,
बीते उन लम्हों को फिर जी लेने दो !
तनिक मुझे सो लेने दो !
वो तेरा हर पल मुझको नयनों में रखना,
वो मेरा सुबहो शाम राह तेरी तकना,
तेरे कदमों की आहट सुन वो जी उठना,
तेरी बातों के जादू से मन का मथना,
उन सारी बातों को फिर से पी लेने दो !
तनिक मुझे सो लेने दो !
वो घंटों चुप-चुप गलबहियाँ डाले रहना,
वो बिन बोले ही सारी बातों का कहना,
वो मेरी हर पीड़ा को मेरे संग सहना,
वो मेरे दुःख का तेरी आँखों से बहना,
करुणा की उस मूरत को बस छू लेने दो !
तनिक मुझे सो लेने दो !
वो पहरों ढलते सूरज को तकते रहना,
धुंधली शामों में हाथ थाम चलते रहना,
तेरे आँचल की खुशबू से मन भर लेना,
तेरे गीतों का मन को पावन कर देना,
इन सारे भावों से अंतर भर लेने दो !
तनिक मुझे सो लेने दो !
ये छाया तेरी तेरे बिना अधूरी है
कहने को तो बस कुछ मीलों की दूरी है,
तन के बिन रहता छाया का अस्तित्व कहाँ,
मेरे दिल तेरी धडकन का बस एक जहाँ,
‘तू जहां रहे आबाद रहे’ कह लेने दो !
तनिक मुझे सो लेने दो !
साधना वैद
आपने अपनी तरफ से यह उम्दा रचना समर्पित कर दी...वो भी पढ़ ही लेंगी/
ReplyDeleteasha hai wo ise padhe aur aapki manokamna poori ho..bahut hi bhavpurna eachna
ReplyDeletehttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
meri kamna hai wah awashya ise padhe.....yaadon kee pyaar bhari baaten
ReplyDeleteएक अच्छी भाव से भरी कविता |यदि सहेली का नाम भी दे दिया होता तो अधिक मजा आजाता
ReplyDeleteआशा
लाजवाब ... गहरे जज्बातों को बाखूबी उतरा है ... आशा है आपकी सहेली ज़रूर पढ़ेगी ...
ReplyDeleteवो पहरों ढलते सूरज को तकते रहना,
ReplyDeleteधुंधली शामों में हाथ थाम चलते रहना,
तेरे आँचल की खुशबू से मन भर लेना,
तेरे गीतों का मन को पावन कर देना,
इन सारे भावों से अंतर भर लेने दो !
तनिक मुझे सो लेने दो !
waah waah....
kya baat haii...
ummeed karta honn woh ise jaroor padhein....
"वो तेरा हर पल मुझको नयनों में रखना,
ReplyDeleteवो मेरा सुबहो शाम राह तेरी तकना,
तेरे कदमों की आहट सुन वो जी उठना,
तेरी बातों के जादू से मन का मथना,
उन सारी बातों को फिर से पी लेने दो !
तनिक मुझे सो लेने दो ! "
अत्यंत ही भावूक कर देणे वाली रचना !
ati sunder.
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