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Monday, April 26, 2010

मौन

मेरे मौन को तुम मत कुरेदो !
यह मौन जिसे मैंने धारण किया है
दरअसल मेरा कम और
तुम्हारा ही रक्षा कवच अधिक है !
इसे ऐसे ही अछूता रहने दो
वरना जिस दिन भी
इस अभेद्य कवच को
तुम बेधना चाहोगे
मेरे मन की प्रत्यंचा से
छूटने को आतुर
उलाहनों उपालम्भों
आरोपों प्रत्यारोपों के
तीक्ष्ण बाणों की बौछार
तुम सह नहीं पाओगे !
मेरे मौन के इस परदे को
ऐसे ही पड़ा रहने दो
दरअसल यह पर्दा
मेरी बदसूरती के
अप्रिय प्रसंगों से कहीं अधिक
तुम्हारी मानसिक विपन्नता की
उन बदरंग तस्वीरों को छुपाता है
जो उजागर हो गयीं
तो तुम्हारी कलई खुल जायेगी
और तुम उसे भी कहाँ
बर्दाश्त कर पाओगे !
मेरे मौन के इस उद्दाम आवेग को
मेरे मन की इस
छिद्रविहीन सुदृढ़ थैली में
इसी तरह निरुद्ध रहने दो
वगरना जिस भी किसी दिन
इसका मुँह खुल जाएगा
मेरे आँसुओं की प्रगल्भ,
निर्बाध, तूफानी बाढ़
मर्यादा के सारे तट बंधों को
तोड़ती बह निकलेगी
और उसके साथ तुम्हारे
भूत भविष्य वर्त्तमान
सब बह जायेंगे और
शेष रह जाएगा
विध्वंस की कथा सुनाता
एक विप्लवकारी सन्नाटा
जो समय की धरा पर
ऐसे बदसूरत निशाँ छोड़ जाएगा
जिन्हें किसी भी अमृत वृष्टि से
धोया नहीं जा सकेगा !
इसीलिये कहती हूँ
मेरा यह मौन
मेरा कम और तुम्हारा
रक्षा कवच अधिक है
इसे तुम ना कुरेदो
तो ही अच्छा है !


साधना वैद

15 comments :

  1. यह मौन जिसे मैंने धारण किया है
    दरअसल मेरा कम और
    तुम्हारा ही रक्षा कवच अधिक है !
    मौन का रक्षा कवच हट जाना चाहिये अब तो
    बेहतरीन रचना

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  2. मेरे मौन को तुम मत कुरेदो !
    यह मौन जिसे मैंने धारण किया है
    दरअसल मेरा कम और
    तुम्हारा ही रक्षा कवच अधिक है !
    इसे ऐसे ही अछूता रहने दो

    बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए....... खूबसूरत रचना......

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  3. मौन के बाद को क्षण होते है वो किसी तूफान से कम नही होते.....बेहतरीन अभिव्यक्ति...सुंदर रचना बधाई

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  4. bahut hi shandar...aapke maun ne to nishabd kar diya...

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  5. सार्थकता से भरी विवेचना युक्त कविता के लिए धन्यवाद / ऐसे ही प्रस्तुती और सोच से ब्लॉग की सार्थकता बढ़ेगी / आशा है आप भविष्य में भी ब्लॉग की सार्थकता को बढाकर,उसे एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित करने में,अपना बहुमूल्य व सक्रिय योगदान देते रहेंगे / आप देश हित में हमारे ब्लॉग के इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर पधारकर १०० शब्दों में अपना बहुमूल्य विचार भी जरूर व्यक्त करें / विचार और टिप्पणियां ही ब्लॉग की ताकत है / हमने उम्दा विचारों को सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / इस हफ्ते उम्दा विचार के लिए अजित गुप्ता जी सम्मानित की गयी हैं /

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  6. "तुम्हारी मानसिक विपन्नता की,
    उन बदरंग तस्वीरों को ,
    छिपाता है ,
    जो उजागर हो गईं ,
    तो तुम्हारी कलई खुल जायेगी "
    हर शब्द ह्रदय स्पर्शी है तथा किसी कोने में छिपी व्यथा को दर्शाने का सुंदर प्रयास है |
    आशा

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  7. AAPKI yah rachna sach me man ko gahre tak kahi.n chhu gayi...jo bhi likha ek ek shabd bilkul ham sab par ghatit hota hua sa likha...aisa hi kuch maine apni kavita SHABDO KA KALRAV me likha tha...aur waise bhi kahte hai ki krodh ka sabse bada shatru maun hai..ek maun k aage krodh ko haar jana padta hai..bahut khoobsurat abhivyakti.

    ye slide show me kon he ...bataiyega.

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  8. यही है मौन की शक्ति.

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  9. मेरे मौन के इस परदे को
    ऐसे ही पड़ा रहने दो
    दरअसल यह पर्दा
    मेरी बदसूरती के
    अप्रिय प्रसंगों से कहीं अधिक
    तुम्हारी मानसिक विपन्नता की
    उन बदरंग तस्वीरों को छुपाता है

    Bahut ache...

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  10. सही कहा..गर मौन टूटा तो नुकसान तुम्हारा ही होगा...


    मौन को कोई कायरता न समझे.


    बहुत ही गहन और उम्दा रचना!!

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  11. तुम्हारी मानसिक विपन्नता की,
    उन बदरंग तस्वीरों को ,
    छिपाता है ,
    जो उजागर हो गईं ,
    तो तुम्हारी कलई खुल जायेगी

    कितनी सच्ची बात कह दी....
    हम चुप हैं कि उनकी साख बनी रहे
    वो समझते हैं कि हम टूट गए हैं....

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  12. ....दरअसल मेरा कम और
    तुम्हारा ही रक्षा कवच अधिक है !.......

    Beautiful expression !

    There is a lot hidden behind a woman's silence.

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  13. आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

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  14. sabse pahale maaf kijiye kyoki hindi ime nahi khul raha ,saadhanaa jee bauhut achcha likhtee hai mai kafi lambe amay baad blog par aai aap ke man men gahara sagar chpa hai kyo rahati hai ek aurat itna maun |kya apne ko daba kar rakhana h uski niyati hai | kabhi kabhi mujhe apki rachnaye bahut jhakjhorti hai man karta hai ki ud kar aapke pas aajau aur dher sare prashnon ki jhadi laga du|
    beena

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