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Wednesday, July 13, 2011

सम्भल के रहना अपने घर में ----

मुम्बई में हुए बम धमाकों ने आज फिर देश को दहला दिया है ! व्यस्तता अधिक होने की वजह से कुछ नया नहीं दे पा रही हूँ इन दिनों लेकिन आज अपना एक पुराना आलेख मैं पुन: पोस्ट कर रही हूँ क्योंकि यह आज की इस विचलित कर देने वाली दुर्घटना के सन्दर्भ में भी कदाचित उतना ही प्रासंगिक है !

सम्भल के रहना अपने घर में ----

अपने बचपन की यादों के साथ देश प्रेम और देश भक्ति के जो चन्द गाने आज भी ज़ेहेन में गूँजते हैं उनके सम्मोहन से इतने वर्षों बाद आज भी मुक्त हो पाना असम्भव सा लगता है । संगीत के सूक्ष्म गुण दोषों के पारखी महान संगीतकारों के लिये हो सकता है ये गीत अति सामान्य और साधारण गीतों की श्रेणी में शुमार किये जायें लेकिन बालमन पर इनका प्रभाव कितना स्थायी और अमिट होता था यह मुझसे बढ़ कर और कौन जान सकता है । “ दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल “, “ आओ बच्चों तुम्हें दिखायें झाँकी हिन्दुस्तान की “ ,“ सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा “ , जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़ियाँ करती हैं बसेरा “ ऐसे ही और भी ना जाने कितने गीत थे जिनको सुनते ही मन गर्व से भर उठता था और आँखे भावावेश से नम हो जाया करती थीं । उन्ही दिनों एक गीत और बहुत लोकप्रिय हुआ था जो वर्तमान समय में जितना सामयिक और प्रासंगिक है उतना शायद उन दिनों में भी नहीं होगा । वह गीत है _ “ कहनी है एक बात हमें इस देश के पहरेदारों से सम्भल के रहना अपने घर में छिपे हुए ग़द्दारों से “ । इस गाने की सीख को हम क्यों भुला बैठे ? यदि हमने इस बात पर ग़ौर किया होता तो आज हमारे देश को ये छिपे हुए ग़द्दार इस तरह से खोखला नहीं कर पाते ।
समाचार पत्र और टी वी के सभी न्यूज़ चैनल आतंकवादियों के नये-नये कारनामों और भारत के समाज और सरज़मीं पर उनकी गहरी जड़ों के वर्णन से रंगे रहते हैं । लेकिन क्या कभी कोई इस पर विचार करता है कि कैसे ये आतंकवादी ठीक हमारी नाक के नीचे इतने खतरनाक कारनामों को अंजाम दे लेते हैं और हम बेबस लाचार से इनके ज़ुल्म का शिकार हो जाते हैं और प्रतिकार में कुछ भी नहीं कर पाते । इसकी सिर्फ एक वजह है कि यहाँ चप्पे-चप्पे पर उनके मददगार बैठे हुए हैं जो उनकी हर तरह से हौसला अफ़ज़ाई कर रहे हैं , उनकी ज़रूरतें पूरी कर रहे हैं और अपने देश और देशवासियों के साथ ग़द्दारी कर रहे हैं । कोई उनको नकली पासपोर्ट बनाने में मदद कर रहा है, तो कोई उनको सैन्य गतिविधियों और संवेदनशील ठिकानों की जानकारी उपलब्ध करा रहा है, तो कोई उन्हें अपने घर में शरण देकर उनका आतिथ्य सत्कार कर रहा है और उन्हें अपने नापाक इरादों को पूरा करने देने के लिये अवसर प्रदान कर रहा है तो कोई उन्हें उनकी आवश्यक्ता के अनुसार हथियार और विस्फोटकों की आपूर्ति कर रहा है । जैसे कि वे कोई आतंकवादी नहीं हमारे कोई अति विशिष्ट सम्मानित अतिथि हैं । और आश्चर्य की बात यह है कि ऐसे “ मेहमान नवाज़ “ समाज के निचले वर्ग में ही नहीं मिलते ये तो समाज के हर वर्ग में व्याप्त हैं । नेता हों या अभिनेता , सैनिक अधिकारी हों या प्रशासनिक अधिकारी , प्राध्यापक हों या विद्यार्थी , धर्मगुरू हों या वैज्ञानिक , कम्प्यूटर विशेषज्ञ हों या वकील , सेना या पुलिस के जवान हों या ढाबों और चाय की दुकानों पर काम करने वाले ग़रीब तबके के नादान कर्मचारी जिनमें दुर्भाग्य से अबोध बच्चे भी शामिल हैं , सब अपने छोटे-छोटे व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिये अवसर पाते ही देश के साथ ग़द्दारी करने से पीछे नहीं हटते । फिर चाहे कितने ही निर्दोष लोगों की जान चली जाये या देश की फ़िज़ा में कितना ही ज़हर क्यों ना घुल जाये । इनके अंदर का भारतवासी मर चुका है । ये सिर्फ लालच का एक पुतला भर हैं जिन्हें ना तो देश से प्यार है ना देशवासियों से । किसी को पैसों का लालच है तो किसीको धर्म के नाम पर गुमराह किया जाता है । अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को दबा ये अपने विदेशी आकाओं की बीन पर नाचने के लिये मजबूर हो जाते हैं ।
विदेशों से आये आतंकवादियों की खोजबीन में जितनी कसरत कवायद की जाती है उसकी आधी भी यदि घर के भेदी इन “ विभीषणों “ को पहचानने में और उन पर कड़ी कार्यवाही करने में लगाई जाये तो आधी से ज़्यादह समस्या खुद ही समाप्त हो जायेगी और आतंकवादियों की जड़ें ढीली हो जायेंगी क्योंकि इनकी मदद के बिना बाहर से आये विदेशी आतंकवादी आसानी से घुसपैठ कर ही नहीं सकते । जब तक स्थानीय लोगों का साथ और सहयोग इन दुर्दांत आतंकवादियों को मिलता रहेगा इनके हौसले बुलन्द रहेंगे और मुम्बई, दिल्ली, गुजरात और हैदराबाद जैसी भीषण काण्ड घटित होते रहेंगे । अनेकों निर्दोष लोगों की बलि चढ़ती रहेगी और अनगिनत घर परिवार उजड़ते रहेंगे ।
सवाल यह उठता है कि देश का कामकाज चलाने के लिये और लोगों की सुरक्षा के लिये जिन ज़िम्मेदार व्यक्तियों को यह काम सौंपा है यदि वे ही अपने कर्तव्यपालन से चूक जाते हैं या बेईमानी पर उतर आते हैं तो आम आदमी किसके पास जाये अपनी फरियाद लेकर ? ऐसी स्थिति में हमें स्वयम ही खुद को सबल , समर्थ और सक्षम करना होगा । मेरा सभी भारतवासियों से निवेदन है कि सजग रहिये, सतर्क रहिये, चौकन्ने रहिये अपनी आँखे और कान खुले रखिये, यदि कोई भी संदेहास्पद गतिविधि या व्यक्ति आपकी नज़र में आते हैं तो उसे अनदेखा मत करिये और अपने देश को ऐसे ग़द्दारों के हाथों खोखला होने से बचाइये । देश को तोड़ने वालों की कमी नहीं है । आज ज़रूरत है देश को जोड़ने वालों की । उसे एकता के सूत्र में पिरोने वालों की । आज अपने देश की पहरेदारी के लिये हमें खुद कमर कस कर तैयार रहना होगा और इन छिपे हुए ग़द्दारों से अपने देश को बचाना होगा । अपने कर्तव्य को पहचानिये और मातृभूमि के प्रति अपने ऋण को चुकाने से पीछे मत हटिये । अशेष शुभकामनाओं के साथ आप सभी को मेरा जय भारत ! जय हिन्दोस्तान !

साधना वैद

13 comments :

  1. एकदम सत्य कहा है आपने, यदि सभी सतर्क रहें तो क्या बात हो,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  2. sarthak aalekh ...sach me hame isi prakar apne hi ander jagrookta lani hogi ...

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  3. जितना सम्भव है जनता तो चौकन्नी है ही लेकिन सरकार और प्रशासन की भी कुछ ज़िम्मेदारी है कि नहीं?

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  4. ham pahachan nahin pate hain ki hamare beech hi gaddar pal rahe hain aur aisi ghatnaon ki prishthbhoomi to sarakar hi bana rahi hai. aise aatankvadiyon ko sarakari mehman bana kar paalati rahegi aur ve badale men ye inaam de rahe hain. laanat hai hamari sarakar par.

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  5. देश के दुश्मनों के लिए काम करने वाले ग़द्दारों को चुन चुन कर ढूंढने की ज़रूरत है और उन्हें सरेआम चैराहे पर फांसी दे दी जाए। चुन चुन कर ढूंढना इसलिए ज़रूरी है कि आज ये हरेक वर्ग में मौजूद हैं। इनका नाम और संस्कृति कुछ भी हो सकती है, ये किसी भी प्रतिष्ठित परिवार के सदस्य हो सकते हैं। पिछले दिनों ऐसे कई आतंकवादी भी पकड़े गए हैं जो ख़ुद को राष्ट्रवादी बताते हैं और देश की जनता का धार्मिक और राजनैतिक मार्गदर्शन भी कर रहे थे। सक्रिय आतंकवादियों के अलावा एक बड़ी तादाद उन लोगों की है जो कि उन्हें मदद मुहैया कराते हैं। मदद मदद मुहैया कराने वालों में वे लोग भी हैं जिन पर ग़द्दारी का शक आम तौर पर नहीं किया जाता।
    ‘लिमटी खरे‘ का लेख इसी संगीन सूरते-हाल की तरफ़ एक हल्का सा इशारा कर रहा है.
    ग़द्दारों से पट गया हिंदुस्तान Ghaddar

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  6. बहुत सार्थक लेख और सटीक आह्वान ... खाली जनता की जागरूकता काम नहीं आएगी ..कुछ कड़े नियम बनाने होंगे और सरकार इन घटनाओं से पल्ला नहीं झाड़ सकती ... यह सरकार की नाकामयाबी है जो ऐसी घटनाओं को रोक नहीं पाती है

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  7. सतर्कता रखने से कई हादसों से बचा जा सकता है अच्छी सोच बधाई
    आशा

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  8. यथार्थपरक लेख....

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  9. सतर्कता तभी बढ़ती है जब कोई अनहोनी हो जाती है...
    सच कहा....

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  10. ek ek shabd yatharth ki dhara par khara utarta hua. bahut sartha aur sateek lekh likha hai jo mujhe ek naye srijan k liye udwelit kar raha hai. sunder prayas. aage bhi intzar rahega.

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  11. kASH YEH BAAT HAMARE LEADERS SAMAJH PATE
    SBSAXENA

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  12. सतर्क रहिये, चौकन्ने रहिये अपनी आँखे और कान खुले रखिये, यदि कोई भी संदेहास्पद गतिविधि या व्यक्ति आपकी नज़र में आते हैं तो उसे अनदेखा मत करिये और अपने देश को ऐसे ग़द्दारों के हाथों खोखला होने से बचाइये । देश को तोड़ने वालों की कमी नहीं है । आज ज़रूरत है देश को जोड़ने वालों की । उसे एकता के सूत्र में पिरोने वालों की । आज अपने देश की पहरेदारी के लिये हमें खुद कमर कस कर तैयार रहना होगा और इन छिपे हुए ग़द्दारों से अपने देश को बचाना होगा...
    ..aise hi sankalp kee aaj sakht jarurat hai...
    bahut badiya jaagrukta bhari prastuti ke liye aabhar!

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  13. जनता को तो सचेत रहना होता ही है| और उस के सचेतन की वजह से ही हिन्दुस्तान चल्र रहा है| चेतना की आवश्यकता हमारे नीति नियंताओं को अधिक है|

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