दिल की दीवारों पर लिखी
वर्षों पुरानी धुँधली सी इबारतों को
यत्न कर साफ़-साफ़ पढ़ना
मुझे अच्छा लगता है ,
खिले गुलाब की हर पंखुड़ी पर
सम्पूर्ण समर्पण और भावना के साथ
तुम्हारा ‘आई लव यू’ उकेरना
मुझे अच्छा लगता है !
खिडकी की सलाखों पर सिर टिका
इंतज़ार में आँखे बिछाये अधीरता से
घंटों तुम्हारा सड़क को निहारना
मुझे अच्छा लगता है !
बहुत पीछे छूट गये
अपने हमसायों के कदमों की
बेहद धीमी आहट को
कान लगा कर सुनने की कोशिश करना
मुझे अच्छा लगता है !
मन की अतल गहराइयों में कहीं
दबे छिपे विस्मृत प्रणय गीतों की
मधुर पंक्तियों को सायास दोहराना
मुझे अच्छा लगता है ,
कस कर बंद किये गये तुम्हारे
अधरों का कुछ कहने के लिये
तत्पर हो धीमे-धीमे खुलना
मुझे अच्छा लगता है !
ढीली गुँथी चोटी को सामने कर
काँपती उँगलियों से तुम्हारा
बार-बार उसे खोलना और गूँथना
मुझे अच्छा लगता है ,
किसी सवाल के जवाब में
तुम्हारा अपने दुपट्टे के छोर को
दाँतों से दबाना और
सलज्ज पलकों को ऊपर उठा
अपनी मौन दृष्टि को मेरे चहरे पर
गहराई तक रोप देना
मुझे अच्छा लगता है !
इन मीठी यादों को सहेजना ,
समेटना और फिर से जी पाना
मुझे अच्छा लगता है ,
बस बदलते समय के साथ
बदलते परिवेश में
प्रणय निवेदन के बदलते प्रतिमानों
और बदलती परिभाषा के साथ
समझौता करना
मुझे अच्छा नहीं लगता !
साधना वैद
बहुत सुन्दरता से कोमल भावो को प्रस्तुत किया है ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...
प्रणय निवेदन के बदलते प्रतिमानों
ReplyDeleteऔर बदलती परिभाषा के साथ
समझौता करना
मुझे अच्छा नहीं लगता !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
भावपूर्ण व कोमल सी.
आपको जिस बात से अच्छा नहीं लगता,वह बहुत
अच्छी लगी.
मेरे ब्लॉग पर आप आयीं ,इसके लिए आभारी हूँ आपका.
साधना जी ,
ReplyDeleteआज तो बहुत ही प्यारे और कोमल एहसास समेट लायी हैं ... दिल की दीवारों पर इबारत का पढ़ना ..अब क्या क्या लिखूं ? मौन दृष्टि से गहराई तक रोप देना ... बहुत सुन्दर शब्दों का चयन ..
पर यह बदलते परिवेश सब भावनाओं पर तुषारा पात कर देते हैं ..बहुत अच्छी प्रस्तुति
प्रणय गीतों का सायास दोहराना मुझे अच्छा लगता है "अच्छी पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना |बधाई
आशा
जो हमारे दिल को अच्छा लगे वही तो होता है अच्छा| ईमानदार अभिव्यक्ति| बधाई|
ReplyDeleteकोमल अहसासों से भरी एक ईमानदार रचना के लिए आप बधाई स्वीकार करें
ReplyDeleteसुंदर कोमल भाव,
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
waah kya baat hai aaj to ehsas kuchh mehke mehke hain. hawaye kuchh gunguna rahi hain...
ReplyDeletebahut sunder abhivyakti.
ati sunder komal bhav...........
ReplyDeleteप्रणय निवेदन के बदलते प्रतिमानों
ReplyDeleteऔर बदलती परिभाषा के साथ
समझौता करना
मुझे अच्छा नहीं लगता !
बदलते परिवेश पर आपके विचारों से सहमत.
अभिव्यक्ति भी अच्छी है.
बहुत अच्छी रचना |
ReplyDeleteकिसी का आना
ReplyDeleteऔर प्यार पाना
हमें भी अच्छा लगता है ।
आपकी यह सुंदर रचना ब्लॉगर्स मीट वीकली पर देखी जा रही है ।
मुझे ये बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है की हिंदी ब्लॉगर वीकली{१} की पहली चर्चा की आज शुरुवात हिंदी ब्लॉगर फोरम international के मंच पर हो गई है/ आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार को इस मंच पर की गई है /इस मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/इस मंच का लिंक नीचे लगाया है /आभार /
ReplyDeletewww.hbfint.blogspot.com
'अमृत कलश 'पर आने के लिए लिंक बनादेना
ReplyDeleteआशा
बहुत ही प्यारे अहसास लिए सुन्दर सी कविता....
ReplyDeleteजैसे, आँखों के आगे साकार हो उठे सारे भाव