विचारों की सरिता में
कविता की कश्ती को
भावनाओं के बहाव की दिशा में
मैं शब्दों की पतवार से खेती
आगे बढ़ी जाती हूँ
इस प्रत्याशा में कि
चाँद सितारे, परिंदे पहाड़,
फूल तितलियाँ, झील झरने,
नदिया सागर, सारी की सारी कायनात,
सूर्योदय और सूर्यास्त ,
सुबह, दोपहर और शाम ,
गहन अंधेरी रातें और चमकीली उजली भोर
सारे इन्द्रधनुषी रंग, और तमाम
कोमल से कोमलतम खयालात,
सारा प्यार और सौंदर्यबोध,
सारा दर्द और संवेदना
और ‘तुम’ मेरी इस नौका में
आकर बैठ जाओगे और
मेरी यह कश्ती
‘नोआ’ की नाव की तरह
रचना के सारे अंकुर
अपने में समेटे बढ़ चलेगी
एक नये सृजन संसार की
तलाश में ,
नित नवीन सृष्टि के लिये !
साधना वैद
बहुत सुंदर बात कही है, सब कुछ समेट कर जो कश्ती बनायीं है उसमें हम भी आ रहे हैं.
ReplyDeleteमनभावन नौका विहार .....!
ReplyDeleteशानदार लेखन, दमदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteपसंद आया यह अंदाज़ ए बयान आपका. बहुत गहरी सोंच है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और शब्द चयन |बधाई
ReplyDeleteआशा
नदी में जब विचारों कि कश्ती डाल ही दी तो सारा सौंदर्य तो समाना ही था .. हाँ साथ में "तुम " का बैठना ज़रूरी है ... क्यों कि इसी तुम के साथ जुडी होती हैं संवेदनाएं , दर्द , इन्द्रधनुषी रंग ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteshandar.......
ReplyDeleteमेरी यह कश्ती
ReplyDelete‘नोआ’ की नाव की तरह
रचना के सारे अंकुर
अपने में समेटे बढ़ चलेगी
एक नये सृजन संसार की
तलाश में ,
नित नवीन सृष्टि के लिये !
lazabab pangtiyan........bahut achchi lagi.
बहुत प्यारी....
ReplyDeleteअंतहीन सफर की ये कश्ती तो वाक़ई अद्भुत है
ReplyDeleteघनाक्षरी समापन पोस्ट - १० कवि, २३ भाषा-बोली, २५ छन्द
शानदार लेखन, दमदार प्रस्तुति.
ReplyDeleteइतना कुछ लाद लिया अपनी नाव में तो अब हमारी टिप्प्णी की भी जगह नहीं बची.
ReplyDeleteहाँ इन सब के साथ उन ’तुम’ का होना ज्यादा जरुरी है.
:)
साधना जी आपकी रचनाओं पर तो मुझसे कुछ कहते नही बनता दिल से भी गहरी संवेदनायें समेट लेते हैं आपके शब्द। बधाई इस रचना के लिये।
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी कविता।
ReplyDeleteसादर
सुन्दरता से पिरोये गए भाव....
ReplyDeleteसादर..
नमस्कार साधना जी...मै आपसे क्षमा चाहता हूँ कि मै आपके ब्लाग पर निरंतर नहीं आ पाता....क्या करुँ समय अभाव है....पर ऐसा भी नहीं है कि मै हर जगह जाता हूँ पर बस यहाँ नहीं आता......पर इसको मेरी मजबूरी समझे....बहुत ही सही चित्रण किया है आपने....इस कविता में...अध्यात्म भाव को लिये..सुंदर रचना।
ReplyDeleteबेहद खूबसूरती से पिरोई दिल को छू जाने वाली रचना. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
सुन्दर शब्दों से सुसज्जित लाजवाब रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई! आपकी लेखनी को सलाम!
ReplyDeleteकमल की कविता है ...बहुत ही सुन्दर.
ReplyDeleteअगर मज़बूत इरादे हों तो हर मंजिल को पाया जा सकता है.
ReplyDeleteसुन्दर रचना.
आपकी पोस्ट की चर्चा सोमवार १/०८/११ को हिंदी ब्लॉगर वीकली {२} के मंच पर की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ / हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। कल सोमवार को
ReplyDeleteब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।