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Tuesday, November 1, 2011

कुछ तो है


कुछ तो है जो ,

परिंदे भी चुप हैं ,

पत्ते भी खामोश हैं,

फूल भी उदास हैं ,

तितलियों के सुहाने

शोख रंग भी

बेरंग से हो चले हैं !

कुछ तो है जो ,

खुशियों में कमी सी है ,

आँखों में नमी सी है ,

साँसे भी थमी सी हैं ,

यादों के जखीरे पर

वक्त की बर्फ की

सर्द सी पर्त जमी है !

कुछ तो है जो ,

हवाएं भी बोझिल हैं ,

बादलों की आँखें भी

बरस रही हैं ,

संवेदनाएं भी तिक्त हैं ,

हृदय भी रिक्त है ,

अधरों पर ठहरे

सहमे हुए से शब्द भी

वेदना से सिक्त हैं !

कुछ तो है जो ,

कायनात की हर शै

अपनी जगह से बेवजह

कहीं दूर हट चुकी है ,

खुशियों पर पकड़

ढीली हो चली है ,

निगाहें सामने पसरे

असीम रेगिस्तान के

प्रखर ताप से

झुलस चुकी हैं ,

शायद इसलिए कि

'तुम चुप हो' !




साधना वैद


20 comments :

  1. ओह एक चुप्पी और उसके इतने आफ्टर इफेक्ट्स ... सुन्दर प्रस्तुति ..

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  2. बहुत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति |
    आशा

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  3. एक तुम्हारा चुप हो जाना ही हर सू ख़ामोशी है ...
    सुन्दर !

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  4. बहुत सुन्दर भाव संजोये हैं।

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  5. निगाहें सामने पसरे

    असीम रेगिस्तान के

    प्रखर ताप से

    झुलस चुकी हैं ,

    शायद इसलिए कि

    'तुम चुप हो' !

    बेहतरीन!

    सादर

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  6. किसी की खामोशी इतना व्यग्र कर सकती है!!!!!!!!!!!!!!!!!!! बहुत खूब साधना दीदी

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  7. ek chhuppi ka ye asar. aap bilkul bhi chup nahi rahiyega.

    :)

    sunder prastuti.

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  8. किसी अपने की ख़ामोशी...जानलेवा ही होती है

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  9. हाँ,कुछ तो है
    कि मैं उदास हूँ
    क्यूंकि आप मेरे ब्लॉग पर
    अभी तक नही आयीं हैं.

    ऐसी क्या गल्ती हुई है मुझसे.
    क्या मैं अब चुप ही रहूँ, साधना जी.

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  10. बहुत अच्छी रचना.... वाह!
    सादर बधाई...

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  11. बस !
    कुछ तो है........!!
    एक चुप सी जो लगी है.....!!!

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  12. ये चुप्पी बड़ी जानलेवा है.
    सुन्दर रचना.

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  13. सुंदर भाव-प्रवण रचना.

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  14. खुशियों में कमी सी है ,
    आँखों में नमी सी है ,
    साँसे भी थमी सी हैं

    क्या बात है...ये पंक्तियाँ तो बस लाज़बाब हैं...

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  15. बिल्‍कुल सच कहा ... ।

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  16. जी हाँ,कुछ तो है.
    अपने जन की याद तो आती ही है कभी.

    यदि न आये,तो फिर कुछ तो है.
    आपके न आने से दिल उदास है,जी.

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  17. सुंदर , सुंदर , बेहतरीन भावाभिव्यक्ती ...

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  18. shuru se aakhir tak susense sa bana raha ki ye 'Kuch' kya hai..
    ant mein jo vajah mili.. bahut hi achhi lagi.. :)
    bahut sundar rachna..

    kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega..

    palchhin-aditya.blospot.in

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