नभ में कितने तारे रोज़ निकलते हैं
उपवन में कितनी कलियाँ नित खिलती हैं
किसका सौरभ जीवन को महकायेगा ,
किसकी सुषमा अंतर सुन्दर कर देगी
किसका पारस परस प्राण भर जायेगा !
नदिया में नित कितनी लहरें उठती हैं
मन की पीड़ा कौन बहा ले जायेगी ,
सदियों से प्यासे इस मेरे तन मन को
अपने अमृत से प्लावित कर जायेगी !
दूर गगन में कितने पंछी उड़ते हैं
कौन लौट कर वापिस घर को आयेगा ,
किसके पंखों की धीमी आहट सुन कर
बूढ़ी माँ का हृदय धीर पा जायेगा !
कितने संशय मन में घर कर जाते हैं
कितने प्रश्नों से अंतर अकुलाता है ,
है वह आखिर एक कौन सा पल ऐसा
जिसमें मन का हर उत्तर मिल जाता है !
साधना वैद
सुन्दर अभिव्यक्ति.वैसे प्रश्न कभी ख़त्म नहीं होंगे जीवन में.
ReplyDeleteकितने संशय मन में घर कर जाते हैं
ReplyDeleteकितने प्रश्नों से अंतर अकुलाता है ,
है वह आखिर एक कौन सा पल ऐसा
जिसमें मन का हर उत्तर मिल जाता है !
wah to agyaat hai, per uttar milta hai
है वह आखिर एक कौन सा पल ऐसा
ReplyDeleteजिसमें मन का हर उत्तर मिल जाता है ! इसी की खोज मे तो सभी लगे हैं………सुन्दर प्रस्तुति।
अनगिनत अनुत्तरित प्रश्न और वह पल जब किसी प्रश्न का उत्तर मिल पाए | बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा
मन में उठा संशय बहुत से प्रश्न स्वयं से ही कर्ता रहता है और उत्तर खोजने का प्रयास भी ..कुछ का उत्तर मिलता है कुछ का नहीं .. यह सिलसिला जीवन भर चलता है .. सुन्दर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति!!
ReplyDeletebahut se prashn aise hote hain jo gahe-bagahe hamare antas me uth uth kar jawab paane ko uttejit karte rahte hain....lekin inka jawab sirf waqt k paas hota hai aur waqt ke garbh me kya hai...ye jaana acchhi baat bhi nahi...kyuki yahi ek sanshay ki sthiti hi hai jo hamare jeene ki umeed bail ka poshan karti hai.
ReplyDeletesunder prastuti.
है वह आखिर एक कौन सा पल ऐसा
ReplyDeleteजिसमें मन का हर उत्तर मिल जाता है !
सारे वाजिब सवाल उठाती रचना..जिनक उत्तर कोई नहीं मिलता.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...मेरी नई पोस्ट में आप का स्वागत है..
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत , सुन्दर भाव, सादर.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगा! शानदार अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
जिन्दगी हर पल एक प्रश्न चिन्ह सी नजर आती है और आपने तो उसमें प्रकृती को भी शामिल कर लिया है |भावपूर्ण कविता है मौसीजी ,|
ReplyDelete