आइये
आज आपका परिचय एक ऐसे विलक्षण व्यक्ति से करवाती हूँ जिनकी निष्ठा, लगन एवं समर्पण
की अद्भुत भावना ने एक सूखे टीले को हरे भरे खूबसूरत चमन में बदल दिया ! पेड़
पौधों, फूल पत्तियों से बेइंतहा प्यार और बागबानी के अदम्य शौक ने इन्हें उस
रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित कर दिया जिस पर यदि उनका साथ देने के लिए चंद हमकदम
और मिल जायें तो शहर की सूरत ही बदल जाये !
ये
हैं श्री हरिशंकर रावत जी ! इनकी भवें और पलकों के सफ़ेद बाल इनकी उम्र का सहज ही
संकेत दे रहे हैं ! लेकिन ये जिस जोश खरोश के साथ एक कंधे पर फावड़ा और दूसरे पर
पानी की छागल लेकर शाहजहाँ पार्क के हर कोने में नए नए पौधे रोपते हुए दिखाई देते
हैं वह निश्चित रूप से अनुकरणीय है !
हरिशंकर
जी अपनी युवावस्था में एम्पोरियम के व्यवसाय से जुड़े थे ! उनके तीन बेटे थे ! एक
बेटे की कैंसर से मृत्यु हो गयी ! दूसरा बेटा एल. आई. सी. में मैनेजर है तथा तीसरा
बेटा आर्मी में लेफ्टीनेंट है ! घर परिवार की जिम्मेदारियों से ज़रा कुछ राहत मिली
तो बागबानी का शौक उन्हें शाहजहाँ पार्क के उन उपेक्षित हिस्सों की तरफ खींच कर ले
आया जहाँ ज़मीन सूखे टीले सी बंजर पड़ी हुई थी ! वे अकेले ही फावड़ा और कुदाल ले उस
ज़मीन को समतल करने में जुट गये ! उनकी यह
स्वयंसेवा पार्क के अधिकारियों और कर्मचारियों को रास नहीं आयी ! उन्होंने जम कर
इनका विरोध किया और किसी भी तरह का सहयोग देने से इनकार कर दिया ! हरिशंकर जी ने
हार नहीं मानी ! वे इस सारे असहयोग और विरोध को परे सरका निष्काम भाव से अपने काम
में लगे रहे ! उस बंजर ज़मीन को तराश कर वे उसमें घने छायादार वृक्ष लगाना चाहते थे
! गहन अध्ययन कर वे भूमि के अनुकूल पेड़ों
का चुनाव करते और फिर अपने पास से खरीद कर उन्हें उपयुक्त स्थान पर लगाते ! पौधों में
खाद पानी की व्यवस्था भी वे स्वयं अपने स्तर पर ही करते ! हरिशंकर जी की यह मेहनत
और लगन रंग लाई ! समुचित देखभाल से पौधे जब बड़े होने लगे और उनका रूप रंग आकार
प्रकार लोगों को आकर्षित करने लगा तो धीरे-धीरे पार्क के अधिकारी और माली भी उनके
इस जूनून के कायल होने लगे ! उन्होंने मान लिया कि हरिशंकर जी अपनी धुन के पक्के
हैं और आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं ! फिर वे जो भी कर रहे थे वह निस्वार्थ
भाव से कर रहे थे जिसके लिए वे अपना तन मन धन सभी अर्पित कर रहे थे ! इससे पार्क
का वह हिस्सा भी सुन्दर और हरा भरा हो गया था जहाँ जाने से लोग पहले कतराते थे ! धीरे-धीरे उनका मन भी पिघला और हरिशंकर जी को अब इतना सहयोग मिलने लगा कि कम से कम
उन्हें पेड़ों में पानी देने के लिए पार्क के संस्थान से ही पानी मिलने लगा ! शाहजहाँ
पार्क में उनके अपने लगाये हुए लगभग ३०० पेड़ हैं जो सैलानियों के लिए आकर्षण का
केन्द्र बने हुए हैं !
निरभिमानी
हरिशंकर जी किसी भी प्रकार की प्रशंसा और प्रसिद्धि की बात से ही संकुचित हो जाते
हैं ! उनका मानना है कि प्रशंसा से अभिमान हो जाता है और अभिमान से वे दूर रहना चाहते हैं ! वे कहते हैं
कि यह कार्य वे सेवा के लिए करते हैं शौक के लिए नहीं ! पेड़ पौधों के लिए खर्च
किये गये धन को वे ईश्वर की आराधना के लिए किया गया समर्पण भर मानते हैं ! उनका
कहना है तमाम सारे लोग बैंकों में धन जमा करते हैं ! कालान्तर में किसी असाध्य रोग
से ग्रस्त हो जाते हैं और उनका जमा किया हुआ सारा धन दवा इलाज में खर्च हो जाता है
! उनका दावा है सोलह सत्रह साल से उन्हें कभी बुखार तक नहीं आया है !
हरिशंकर
जी जैसे जीवट वालों की आज के परिवेश में बहुत ज़रूरत है ! उनकी निष्ठा और लगन शिमला
के सैमुअल इवान स्टोक्स की याद दिला देती है जिन्होंने अकेले अपने बलबूते पर सेव
के मधुर फलों के बीज हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में दूर-दूर तक बोये थे और
भारत में पहली बार इस फल की पैदावार आरम्भ की थी ! इससे पहले यह फल जापान से आयात
किया जाता था ! स्टोक्स की मेहनत और दूर दृष्टि ने भारत को इस फल का आज निर्यातक
बना दिया है ! हरिशंकर जी के जूनून में भी मुझे वही आँच दिखाई देती है ! हमारी भी
यही दुआ है कि वे सदा इसी प्रकार स्वस्थ रहें और प्रकृति और पर्यावरण की इसी
प्रकार देखभाल करते रहें ! हम सभीको उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने आस पास के
परिवेश और पर्यावरण की रक्षा के लिए उनका अनुकरण करना चाहिए !
साधना
वैद
हरिशंकर जी जैसे विलक्षण व्यक्तित्व से परेचय करवाने के लिए आभार ..सच है सभीको उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए ..मेरा उनको शत शत नमन...
ReplyDeleteइसे कहते हैं चाह और राह ...
ReplyDeleteहरिशंकर जी से परेचय करवाने के लिए आभार
ReplyDeleteपिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...!!
ReplyDeleteहरिशंकर जी जैसा व्यक्तित्व कम ही देखने को मिलता है ... आभार इस परिचय के लिए ... और उनके लिए शुभकामनायें
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उम्दा लेखन, बेहतरीन अभिव्यक्ति
हिडिम्बा टेकरी
चलिए मेरे साथ
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ब्लॉ.ललित शर्मा
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apka aabhar aisi shakhsiyat se jankari karwane k liye. Harivansh ji k liye dua hai ki unka swasthey theek rahe, vo lambi umr payen aur isi tarah ki seva me karmath rah kar jeewan ka aanand len.
ReplyDeleteऐसी विलक्षण व्यक्ति से परिचय करवाने के लिए आभार |बहुत अच्छा लगा उनके बारे में जान कर |
ReplyDeleteआशा
विलक्षण प्रेरणादायक व्यक्तित्व.
ReplyDeleteआभार इस परिचय के लिए.
हरिशंकर जी जैसे विलक्षण व्यक्ति से परिचय करवाने के लिए आभार ्………प्रेरणादायी प्रसंग
ReplyDeleteharishankar jee se milwane ka aabhar.
ReplyDeleteKisi karanwash devnagari script nahee aa rahee. kshama praarthee hoon.
hmari family ki aur se aapko bhadai dete hai aur asha krte hai aap hmesha aise hi likhti rhe...
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