नव वर्ष के स्वागत के लिए एक रचना लिखी थी ! लेकिन दामिनी की कहानी ने इतना व्यथित कर दिया कि इसे पोस्ट करने का मन ही नहीं हुआ ! लेकिन 'जीवन चलने का नाम' मन्त्र का पालन करते हुए आगे तो बढ़ना ही होगा ! इसलिये आज यह रचना आप सभी के लिए नव नर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है !
रात नयी, बात नयी
प्यार की सौगात नयी
दर्द थम गये !
साज़ नये, राग नये
गीत के अंदाज़ नये
स्वर मुखर हुए !
रीत नयी, प्रीत
नयी
ज़िंदगी पे जीत नयी
हमसफ़र मिले !
हर्ष नया, वर्ष नया
सोच को विमर्श नया
बंद खुल गये !
हास नया, रास नया
प्रकृति का उल्लास
नया
रंग बिखर गये !
फूल नये, शूल नये
लाज के दुकूल नये
नैन झुक गये !
चाह नयी, थाह नयी
रोशनी की राह नयी
दीप जल गये !
साधना वैद
bahot khoobsurat.....
ReplyDeleteफूल नये, शूल नये
ReplyDeleteलाज के दुकूल नये
नैन झुक गये !
बहुत सुंदर रचना .... नए वर्ष में कुछ नया सोचा जाए ... नए विचार जन्म लें ...
नव वर्ष की शुभकामनायें
फूल नये, शूल नये
ReplyDeleteलाज के दुकूल नये
नैन झुक गये !
सुंदर रचना !!
नव वर्ष की मंगलकामनायें !!
ReplyDeleteसुंदर रचना ...
नव नर्ष की हार्दिक शुभकामना
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
ReplyDelete"रात नई बात नई ,प्यार की सौगात नई दर्द थम गए " बहत सुन्दर भाव |
आशा
बात अपने बिलकुल सच कही है , जिन्दगी की रफ्तार जैसे नहीं रुकती है वैसे ही दिन और रात भी नहीं रुकते हैं . हाँ एक कसक जो दामिनी के जाने से उठी है उसे फिर भी हम जिन्दा रखेंगे
ReplyDeleteआपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 12/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना !:)
ReplyDelete'आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!'
~सादर!!!
ReplyDeleteमेरी नवा वर्ष की रचना की चार लाइन ,पूरा मेरे ब्लॉग पर है: -
'नई निशा, नई उषा
नया सूरज और नई किरण
आशा, विश्वास और उत्साह से
भर दे सबका मन।'
New post : दो शहीद
नव वर्ष का सुन्दर स्वागत
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ReplyDeleteरह गया बाकी बहुत कुछ
साथ मिलकर पूर्ण कर लें
नभ को झुका दें हम धरा पर
धरती को नभ के तुल्य कर लें
छेड़े चलो वो रागिनी
हर दिल खुशी से झूम जाए
रात बीती बात बीती
नई सुबह के गीत गाएं.....
ReplyDeleteरह गया बाकी बहुत कुछ
साथ मिलकर पूर्ण कर लें
नभ को झुका दें हम धरा पर
धरती को नभ के तुल्य कर लें
छेड़े चलो वो रागिनी
हर दिल खुशी से झूम जाए
रात बीती बात बीती
नई सुबह के गीत गाएं.....
ReplyDeleteफूल नये, शूल नये
लाज के दुकूल नये
नैन झुक गये !...बहुत सुन्दर
फूल नए, शूल नए
ReplyDeleteलाज के दुकूल नए,
नैन झुक गए.
सुंदर रचना.
लोहड़ी, मकर संक्रांति और माघ बिहू की शुभकामनायें.