लिया जनम
मिला माँ का आँचल
पिता की छाया
जानी दुनिया
जीवन की गतियाँ
जग की माया
स्कूल कॉलेज
खेल कूद पढ़ाई
हो गए बड़े
पता न चला
कब अपने पैरों
हो गए खड़े
हुआ विवाह
बंध गया बंधन
सुखी संसार
जाने कर्तव्य
जाने जग बंधन
हर्ष अपार
स्वीकार की है
जीवन की चुनौती
पूरे मन से
लड़ेंगे हम
जीवन संघर्ष में
पूरे दम से
बीत जायेंगे
जीवन के संकट
धैर्य के साथ
जीत जायेंगे
जीवन की ये बाज़ी
तुम्हारे साथ
धूप या छाँव
जीवन की राहों पे
थके हैं पाँव
ढूँढ ही लेंगे
जीवन छलकाता
प्यारा सा गाँव
बिछी हुई है
जीवन शतरंज
मोहरे हम
जन्म मरण
शाश्वत है नियम
जीवन क्रम
कितनी शांत
कितनी मनोहर
जीवन संध्या
कटने को है
जीवन की पतंग
साँसों की संख्या
निरुद्वेग है
विराम की प्रतीक्षा
आया विमान
जिया जीवन
अब तो करना है
महा प्रस्थान
साधना वैद
No comments :
Post a Comment