Sudhinama
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Monday, January 30, 2017
जो दर्द दिए तूने
जो दर्द दिए तूने वो हँस के पी रहे हैं,
आहें निकल न जाएँ होठों को सी रहे हैं,
तूने क़सर न छोड़ी थोड़ी भी मारने में,
पर देख बेमुरव्वत हम फिर भी जी रहे हैं !
साधना वैद
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