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Thursday, March 14, 2019

ओ कालीदास के मेघदूत




ओ कालीदास के मेघदूत
कहाँ हो तुम ?
क्या तुमने भी कलयुग में आकर
अपनी प्रथाएँ और
परम्परायें बदल ली हैं ?
क्योंकि
नहीं करते ये मेघ अब
विश्वसनीय दूत का काम,
नहीं लाकर देते ये सन्देश
विरहाकुल प्रियतमा को
उसके प्रियतम का,
नहीं देते ये कोई सांत्वना  
भग्नहृदया विरहिणी को,
अब कलयुग में इनका
ममतामय हृदय तनिक भी
विचलित हो द्रवित नहीं होता,
इसके विपरीत यह  
वज्र सा कठोर हो गया है !
ये रिमझिम बरसते नहीं
क्रोध से फट जाते हैं !
ये धीरे-धीरे बहते नहीं
ये दुर्दम्य वेग से अधीर हो
पर्वत शिखरों से समस्त चट्टानों को
अपने साथ बहा ले आते हैं
और साथ में ले आते हैं
प्रलयंकारी विप्लवबाढ़,
आपदा और हाहाकार ! 
ओ कालीदास के मेघदूत
अलकापुरी की विरहिणी को
आज भी अपने अंतर के व्रणों पर
लेप लगाने के लिये और
उनकी जलन को शांत करने के लिये
तुम्हारे शीतल जल की
दैवीय औषधि की आवश्यकता है
जिससे वह अपने
विरह व्याकुल हृदय का
उपचार कर सके ! 
ओ कालीदास के मेघदूत
तुमसे अनुरोध है  
कलयुग की इस
तामसिक अंधी दौड़ की
प्रवंचना में उलझ कर
कम से कम तुम तो
अपनी सात्विक परम्पराओं
और प्रवृत्तियों को मत छोड़ो !
कम से कम तुम तो सकरुण हो
अपने स्निग्ध आवरण में
विरह विदग्ध हृदयों को
आत्मीयता से बाँध लो
जिससे उनके व्याकुल मन को 
कोई सांत्वनाकोई भरोसा,
कोई तो आश्वासन
मिल सके ! 


साधना वैद
  


14 comments :

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (15-03-2019) को दोहे "होता है अनुमान" (चर्चा अंक-3275) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. शुद्ध हिंदी की सुंदर कविता।
    नयी पोस्ट: मुक्कमल मोहब्बत की दास्तान।
    iwillrocknow.com

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  3. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

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  4. हार्दिक धन्यवाद तिवारी जी !

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १८ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  6. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवमं आभार श्वेता जी !

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  7. वाह!!साधना जी ,बहुत खूब!!

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  8. हार्दिक धन्यवाद शुभा जी ! स्वागत है आपका!

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  9. अब कलयुग में इनका
    ममतामय हृदय तनिक भी
    विचलित हो द्रवित नहीं होता,
    बहुत सुंदर ,सादर नमस्कार

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  10. वाह!!!
    लाजवाब....

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  11. बहुत सुन्दर दी जी
    सादर

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  12. हार्दिक धन्यवाद सुधा जी !

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  13. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी !

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  14. तहे दिल से आभार अनीता जी!

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