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Friday, March 29, 2019

दर्द ने कुछ यूँ निभाई दोस्ती



दर्द ने कुछ यूँ निभाई दोस्ती

झटक कर दामन खुशी रुखसत हुई

मोतियों की थी हमें चाहत बड़ी

आँसुओं की बाढ़ में बरकत हुई !



रंजो ग़म का था वो सौदागर बड़ा

भर के हाथों दे रहा जो पास था

हमने भी फैला के आँचल भर लिया

बरजने को कोई ना हरकत हुई !



बाँटने में वो बड़ा फैयाज़ था

नेमतों से कब हमें एतराज़ था

दर्द देने के बहाने ही सही 

चल के घर आने की तो फुर्सत हुई !



हमको उसकी बेरुखी का पास था

चोट देने का ग़ज़ब अंदाज़ था

जायज़ा लेना था हाले दर्द का

ज़ख्म देने को नये शिरकत हुई !



हम न उससे फेर कर मुँह जायेंगे

हर सितम उसका उठाते जायेंगे

हो न वो मायूस अपनी चाल में

इसलिए बस दर्द से उल्फत हुई !



साधना वैद

25 comments :

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-03-2019) को "दिल तो है मतवाला गिरगिट" (चर्चा अंक-3290) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    अनीता सैनी


    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" कवि एवं साहित्यकार
    सदस्य - अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग,उत्तराखण्ड सरकार,
    सन् 2005 से 2008 तक।


    टनकपुर रोड, ग्राम-अमाऊँ
    तहसील-खटीमा, जिला-ऊधमसिंहनगर,
    उत्तराखण्ड, (भारत) - 262308.
    Mobiles:
    7906360576, 7906295141, 09997996437,
    Website - http://uchcharan.blogspot.com/
    E-Mail - roopchandrashastri@gmail.com

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  2. अरे वाह अनीता जी ! आप भी चर्चामंच से जुड़ गयीं हैं जान कर हार्दिक प्रसन्नता हुई ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मेरी रचना के चयन के लिए !

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  3. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप भाई ! मेरा स्नेहिल अभिवादन स्वीकार करें !

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  4. Thank you so much Sarin Saheb. you are most welcome.

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  5. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 29/03/2019 की बुलेटिन, " ईश्वर, मनुष्य, जन्म, मृत्यु और मोबाइल लगी हुई सेल्फ़ी स्टिक “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शिवम् जी !

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  7. बहुत बढ़िया

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  8. अप्रतिम...रचना के भाव दिल को छू गए..बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  9. वाह साधना जी, हमेशा की तरह, दिल को छू लेने वाली सुन्दर रचना !

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  10. बहुत ही सुन्दर... लाजवाब रचना...।
    बाँटने में वो बड़ा फैयाज़ था
    नेमतों से कब हमें एतराज़ था
    दर्द देने के बहाने ही सही
    चल के घर आने की तो फुर्सत हुई !

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  11. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  12. आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया श्वेता जी! हार्दिक आभार !

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  13. हार्दिक धन्यवाद पम्मी जी !

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  14. हृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार सुधा जी! हार्दिक शुभकामनाएं !

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  15. हार्दिक धन्यवाद आपका गोपेश जी! सादर आभार!

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  16. हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कैलाश जी !

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  17. हम न उससे फेर कर मुँह जायेंगे

    हर सितम उसका उठाते जायेंगे

    हो न वो मायूस अपनी चाल में

    इसलिए बस दर्द से उल्फत हुई !
    बहुत-बहुत सुन्दर लिखा है आपने । साधुवाद व शुभकामनाएं ।

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  18. दर्द से इस उल्फत का राज़ भी वही हैं जो दर्द देते हैं ... मन है फिर भी निभाता चला जाता है ...
    बहुत गहरा एहसास लिए भावपूर्ण रचना ...

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  19. हार्दिक धन्यवाद नासवा जी ! आभार आपका !

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  20. हृदय से धन्यवाद सिन्हा साहेब ! आभार आपका !

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  21. वाह साधना दीदी !!! बहुत गहरे अहसास व्यक्त करती हुई रचना है आपकी !

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  22. हार्दिक धन्यवाद मीना जी !बहुत बहुत आभार आपका !

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  23. रचना गहरे अहसासों से भरपूर |उम्दा अभिव्यक्ति |

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