शर्त से क्यूँँ है
परहेज़ तुम्हें
क्या यह मुझे बताओगे
?
सृष्टि का कौन सा काम
बिना शर्त हो जाता
है
क्या यह भी मुझे जता
पाओगे ?
क्या बिना शर्त उपवन
में
फूल खिल जाते हैं ?
बिना धूप हवा पानी के
क्या पौधे पनप जाते
हैं ?
क्या वातावरण में व्याप्त
आर्द्रता
और चटक धूप के बिना
इन्द्रधनुष दिख जाता
है ?
और जो धरती अपनी
धुरी पर
ना घूमे तो क्या
सुबह का सूरज निकल
आता है ?
क्या बादलों को बिन
देखे
मोर आल्हादित होकर
नाच पाता है ?
क्या पूर्ण चन्द्र
की रात में
निरभ्र आकाश में
चाँद को देख
सागर अपने ज्वार को
रोक पाता है ?
क्या रोशनी के साथ निकल
आये
स्वयं अपने ही साए
को मनुज
साथ चलने से टोक पाता
है ?
जब कुदरत के सारे
काम
शर्तों के साथ होते
हैं तो
तुम मेरी शर्तें
क्यों नहीं मान सकते ?
मुझे इससे कितना सुख
मिलता है
इतनी सी बात भी तुम
क्यों नहीं जान सकते
?
कौन कहता है कि
कोई शर्त होती नहीं
प्यार में
जो कहते हैं वो
मिथ्या है
मैं कहती हूँ
जो कोई शर्त ना हो प्यार
में
इकरार की, इज़हार की,
इंतज़ार की
तो कोई गहराई नहीं
प्यार में
कोई सार्थकता नहीं संसार
में !
साधना वैद
व्वाहहहह...
ReplyDeleteबेहतरीन..
सादर नमन..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-08-2019) को " मुझको ही ढूँढा करोगे " (चर्चा अंक- 3424) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत शानदार कविता.
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया वन्दना जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteजी बहुत ही मार्मिक ।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना।
लाजवाब सृजन...
ReplyDeleteवाह!!!!
बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत ही कमाल और उम्दा हमेशा की तरह
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया सुधा जी ! दिल से आभार आपका !
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अजय जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
ReplyDeleteबहुत ख़ूब... मेरे उस्ताद जी भी कहते हैं कि मुस्कुराहट मुआवज़ा है मेरा , इससे बेहतर भी शर्त क्या होगी! सही है, शर्तों की रस्सी पर करतब दिखाती है दुनिया की हर शय...!
ReplyDeleteवाह!!लाजवाब रचना साधना जी ।
ReplyDeleteआज तो धन्य हुआ हमारा ब्लॉग सलिल जी ! स्वागत है आपका ! आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शुभा जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteवाह...कितनी सच्ची बात कही है आपने...अप्रतिम रचना...बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद संजय !
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