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Friday, September 20, 2019

जश्न


पलक के निमिष मात्र से
क्षितिज में उठने वाले
प्रलयंकारी तूफान को तो
शांत होना ही था ,
तुम्हें बीहड़ जंगल में
अपनी राह जो तलाशनी थी !
गर्जन तर्जन के साथ
होने वाली घनघोर वृष्टि को भी
तर्जनी के एक इशारे पर
थमना ही था ,
तुम्हें चलने के लिये पैरों के नीचे
सूखी ज़मीन की ज़रूरत जो थी !
सागर में उठने वाली सुनामी की
उत्ताल तरंगों को तो
अनुशासित होना ही था ,
तुम्हारी नौका को तट तक
जो पहुँचना था !
ऊँचे गगन में
अपने शीर्ष को गर्व से ताने
सितारों की हीरक माला
गले में डाले उस पर्वत शिखर को भी
सविनय अपना सिर झुकाना ही था
कीर्ति सुन्दरी को उसका यह हार
तुम्हारे गले में जो पहनाना था !
राह की बाधाओं को तो
हर हाल में मिटना ही था
तुम्हें मंजिल तक जो पहुँचना था !
सांध्य बाला को भी अपने वाद्य के
सारे तारों को झंकृत करना ही था ,
उसे तुम्हारे सजदे में
सबसे सुन्दर, सबसे मधुर,
सबसे सरस और सबसे अनूठे राग में
एक अनुपम गीत जो सुनाना है
तुम्हारी जीत के उपलक्ष्य में !
जीत का यह जश्न तुम्हें
मुबारक हो !


साधना वैद 

20 comments :

  1. जहाँ तक मेरी समझ है ये कविता सफल युवाओं को सम्बोधित है या जो युवा सफलता की राह पर चलते चलते थक गया है या मायूस हो गया है उन केलिए एक प्रेरणा है.
    बाकमाल जोशीली प्रेरणा है इस रचना में.

    पधारें- अंदाजे-बयाँ कोई और

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    1. आपने बिलकुल सही आकलन किया है रोहितास जी ! यह रचना हर उस व्यक्ति के लिए है जिसने कठिन श्रम के बाद सफलता का मधुर फल चखा है ! हार्दिक धन्यवाद आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए !

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-09-2019) को "पाक आज कुख्यात" (चर्चा अंक- 3466) पर भी होगी।


    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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    1. आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  3. वाह दीदी ! उत्साह का संचार कराती प्रेरक रचना।

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    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका मीना जी ! रचना आपको अच्छी लगी मन मुदित हुआ !

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  4. बेहतरीन रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !

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  5. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका कुलदीप भाई ! सादर वन्दे !

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  6. बहुत सुंदर रचना आदरणीया

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी ! आभार आपका !

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २३ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  8. सबसे सुन्दर, सबसे मधुर,
    सबसे सरस और सबसे अनूठे राग में
    एक अनुपम गीत जो सुनाना है
    तुम्हारी जीत के उपलक्ष्य में !

    मनोबल बढाती सुंदर सृजन ,सादर नमस्कार दी

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    1. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! रचना आपको अच्छी लगी मेरा श्रम सफल हुआ ! आभार आपका !

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  9. प्रेरणा देती बहुत सुंदर रचना, साधना दी।

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  10. बहुत ही सुन्दर प्रेरक रचना
    वाह!!!

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुधा जी ! आभार आपका !

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  11. क्या खूब रचना है |

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    1. हार्दिक धन्यवाद जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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