पलक के निमिष मात्र से
क्षितिज में उठने वाले
प्रलयंकारी तूफान को तो
शांत होना ही था ,
तुम्हें बीहड़ जंगल में
अपनी राह जो तलाशनी थी !
गर्जन तर्जन के साथ
होने वाली घनघोर वृष्टि को भी
तर्जनी के एक इशारे पर
थमना ही था ,
तुम्हें चलने के लिये पैरों के नीचे
सूखी ज़मीन की ज़रूरत जो थी !
सागर में उठने वाली सुनामी की
उत्ताल तरंगों को तो
अनुशासित होना ही था ,
तुम्हारी नौका को तट तक
जो पहुँचना था !
ऊँचे गगन में
अपने शीर्ष को गर्व से ताने
सितारों की हीरक माला
गले में डाले उस पर्वत शिखर को भी
सविनय अपना सिर झुकाना ही था
कीर्ति सुन्दरी को उसका यह हार
तुम्हारे गले में जो पहनाना था !
राह की बाधाओं को तो
हर हाल में मिटना ही था
तुम्हें मंजिल तक जो पहुँचना था !
सांध्य बाला को भी अपने वाद्य के
सारे तारों को झंकृत करना ही था ,
उसे तुम्हारे सजदे में
सबसे सुन्दर, सबसे मधुर,
सबसे सरस और सबसे अनूठे राग में
एक अनुपम गीत जो सुनाना है
तुम्हारी जीत के उपलक्ष्य में !
जीत का यह जश्न तुम्हें
मुबारक हो !
साधना वैद
जहाँ तक मेरी समझ है ये कविता सफल युवाओं को सम्बोधित है या जो युवा सफलता की राह पर चलते चलते थक गया है या मायूस हो गया है उन केलिए एक प्रेरणा है.
ReplyDeleteबाकमाल जोशीली प्रेरणा है इस रचना में.
पधारें- अंदाजे-बयाँ कोई और
आपने बिलकुल सही आकलन किया है रोहितास जी ! यह रचना हर उस व्यक्ति के लिए है जिसने कठिन श्रम के बाद सफलता का मधुर फल चखा है ! हार्दिक धन्यवाद आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए !
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-09-2019) को "पाक आज कुख्यात" (चर्चा अंक- 3466) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
Deleteवाह दीदी ! उत्साह का संचार कराती प्रेरक रचना।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका मीना जी ! रचना आपको अच्छी लगी मन मुदित हुआ !
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !
Deleteहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका कुलदीप भाई ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना आदरणीया
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी ! आभार आपका !
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२३ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
Deleteसबसे सुन्दर, सबसे मधुर,
ReplyDeleteसबसे सरस और सबसे अनूठे राग में
एक अनुपम गीत जो सुनाना है
तुम्हारी जीत के उपलक्ष्य में !
मनोबल बढाती सुंदर सृजन ,सादर नमस्कार दी
हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! रचना आपको अच्छी लगी मेरा श्रम सफल हुआ ! आभार आपका !
Deleteप्रेरणा देती बहुत सुंदर रचना, साधना दी।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रेरक रचना
ReplyDeleteवाह!!!
हार्दिक धन्यवाद सुधा जी ! आभार आपका !
Deleteक्या खूब रचना है |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Delete