देखी हैं आज की लड़कियाँ
जिस्म की नुमाइश करतीं
छोटे छोटे तंग वस्त्रों में कसी
आज के ज़माने की
गुमराह लड़कियाँ !
चटर पटर बोलतीं
ज़ोर ज़ोर से कहकहे लगातीं
ये अति आधुनिक तथाकथित
पढ़ी लिखी लड़कियाँ !
जिन्होंने बोल्ड और आधुनिक होने की
शायद यही परिभाषा गढ़ ली है
अपने मन में !
कि सदाचार और शिष्टाचार से
कोसों दूर का नाता हो या ना हो
फैशन और पाश्चात्य संस्कृति का
अनुकरण तो करना ही होगा
क्योंकि सफलता का तिलस्मी द्वार
यही उन्मुक्ताचार खोलेगा
उनके जीवन में !
जिनके लिये स्वच्छंद तरीके से
अपनी शर्तों पर जीना ही
प्रथम ध्येय रह गया हो जीवन में
उन्हें कुछ भी समझाना व्यर्थ है,
घर वाले मान लें तो ठीक
वरना सही हो या गलत
अपनी राह खुद चुन कर
उसी पर चलने में उनके लिये
जीवन का सच्चा और सही अर्थ है !
दुनिया उल्टी राह पर चल पड़ी है
आजकल मर्द हो गए हैं पर्दानशीन
और औरत हो गयी है बेपर्दा,
आधुनिकता के नाम पर
आज की नारी विचरण करती है
हाई प्रोफाइल पार्टीज़ में
लिए हुए हाथों में बीयर,
वाइन, ड्रग्स और ज़र्दा !
‘कुछ’ हो जाने पर
बड़ी बेरहमी से वो
मर्दों को कोसती है
और शिक्षिता और ज्ञानी
होने के नाम पर वो
गलत तरीकों, गलत नीतियों
और गलत परम्पराओं को
अपने दिल दिमाग में
बड़ी शिद्दत से पालती पोसती है !
कोई बतायेगा किस पार्टी में,
किस समारोह में,
किस शादी विवाह में
किस उत्सव में आपने
आधे अधूरे कपड़े पहने
मर्दों को देखा है ?
लेकिन हर ऐसी
भीड़ वाली जगहों पर
निन्यानवे प्रतिशत महिलाओं को
स्लीवलेस, लो नेक, बैकलेस
मिनी वस्त्रों में शायद
हम सभी ने देखा है !
रम्भा, उर्वशी, मेनका को मात देती
एक से बढ़ कर एक
भड़काऊ वेशभूषा में ये नारियाँ
दिखाई दे जाती हैं
उन्हें देख कर देवलोक की
अप्सरायें भी शायद
स्वर्ग में लजाती हैं !
सखियों रूढ़िवादिता के नाम पर
बिलकुल भी पर्दा ना करें,
थोडा सा भी घूँघट ना निकालें
लेकिन सभ्यता के लिये,
अपनी सुरक्षा के लिये,
अपनी मर्यादा की रक्षा के लिये
इतना पर्दा ज़रूर करें कि
अपने जिस्म की नुमाइश ना करें
स्वयं को उपभोग की वस्तु
बना कर प्रस्तुत ना करें
स्वयं को आदरणीय बनायें
पूजनीय बनायें
आने वाली पीढ़ी के लिए
आदर्श बनायें !
साधना वैद
एक सशक्त हस्तक्षेप करती, अंधी दौड़ पर सवाल उठाती और समस्या निवारण का सुझाव पेश करती सामयिक रचना.
ReplyDeleteस्वेच्छारिता स्त्री-स्वतंत्रता का सटीक अर्थ या पर्याय कभी नहीं हो सकती. सामाजिक मूल्यविहीन जीवन कभी अनुकरणीय उदाहरण नहीं बन सकता.
एक विचारोत्तेजक रचना जो लंबी बहस की गुंजाइश रखती है.
बधाई एवं शुभकामनाएँ आदरणीय दीदी.
स्वेच्छारिता=स्वेच्छाचारिता
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
७ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteबिलकुल सही और सटीक बात कही हैं दी ,अब बहुत हो चूका हैं ,विचारोत्तेजक सृजन ,सादर
ReplyDeleteआपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !
Deleteबहुत सटीक संदेश हर स्त्री के लिए दीदी।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मीना जी ! आभार आपका !
Deleteवाह बेहतरीन रचना।सरहनीय और शिक्षाप्रद।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सुजाता जी ! आभार आपका !
Deleteउम्दा लिखा है |लोगों को शिक्षा लेनी चाहिए इससे |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जी आपका ! बहुत बहुत आभार !
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