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Tuesday, January 24, 2023

मत बुलाओ श्याम

 





मत बुलाओ श्याम मुझको

मैं नहीं आ पाउँगी !


विरह की अग्नि हृदय में जल रही 

पीर की धारा नयन से बह रही 

पैर में हैं झनझनाती बेड़ियाँ

मत रुलाओ श्याम मुझको

मैं नहीं आ पाउँगी !


पंथ सारा कंटकों से है भरा

पाट जमुना का उमड़ कर बढ़ रहा

आँधियों की गर्जना है गाँव में

मत पुकारो श्याम मुझको

मैं नहीं आ पाउँगी !


बाँसुरी तेरी थिरकते पग मेरे

सौम्य छवि तेरी हृदय बसती मेरे

हटा लो मुरली अधर से मोहना  

मत बजाओ श्याम यह धुन

मैं नहीं सुन पाउँगी !

 


चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद

 

 


4 comments :

  1. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. सुन्दर सृजन तुम्हारा साधना | |

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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