मैंने तुम्हारे लिए
एक खिड़की खोल दी है
ताकि तुम
स्वच्छंद हवा में,
अनंत आकाश में,
अपने नयनों में भरपूर उजाला भर कर ,
अपने पंखों को नयी ऊर्जा से सक्षम बना कर
क्षितिज के उस पार
इतनी ऊँची उड़ान भर सको
कि सारा विश्व तुम्हें देखता ही रह जाए !
मैंने तुम्हारे लिए
बर्फ की एक नन्हीं सी शिला पिघला दी है
ताकि तुम पहाड़ी ढलानों पर
अपना मार्ग स्वयम् बनाती हुई
पहले दरिया तक पहुँच जाओ
तदुपरांत उसके अनंत प्रवाह में मिल
सागर की अथाह गहराइयों में
अपने स्वत्व को समाहित कर
उससे एकाकार हो जाओ
और उसके उस अबूझे रहस्य का हिस्सा बन जाओ
जिसे सुलझाने में
सारा संसार सदियों से लगा हुआ है !
मैंने तुम्हारे लिए
तुम्हारे घर आँगन की क्यारी में
सौरभयुक्त सुमनों के कुछ बीज बो दिये हैं
ताकि तुम उनमें नियम से खाद पानी डाल
उन्हें सींचती रहो
और समय पाकर तुम्हारे उपवन में उगे
सुन्दर, सुकुमार, सुगन्धित सुमनों के सौरभ से
सारा वातावरण गमक उठे
और उस दिव्य सौरभ की सुगंध से
तुम अपने काव्य को भी महका सको
जिसे पढ़ कर सदियों तक लोग
मंत्रमुग्ध एवं मोहाविष्ट हो बैठे रह जाएँ !
मैंने तुम्हारे लिए
मन की वीणा के तारों को
एक बार फिर झंकृत कर दिया है
ताकि तुम उस वीणा के उर में बसे
अमर संगीत को
अपनी सुर साधना से जागृत कर सको
और दिग्दिगंत में ऐसी मधुर स्वर लहरी को
विस्तीर्ण कर सको
कि सारी सृष्टि उसके सम्मोहन में डूब जाए
और तुम उस दिव्य संगीत के सहारे
सातों सागर और सातों आसमानों को पार कर
सम्पूर्ण बृह्मांड पर अपने हस्ताक्षर चस्पाँ कर सको !
तथास्तु !
साधना वैद
सच मे कितना अच्छा लिखा गया है ।लिखते रहिये,सानदार प्रस्तुती के लिऐ आपका आभार
ReplyDeleteसुप्रसिद्ध साहित्यकार व ब्लागर गिरीश पंकज जीका इंटरव्यू पढने के लिऐयहाँ क्लिक करेँ >>>>
एक बार अवश्य पढेँ
ati sunder bhaw
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना...
ReplyDeleteमन की वीणा के तारों को हिला दिया !
कुछ याद करा दिया !
जिसे हमने बहुत पहले भुला दिया !
बहुत खूबसूरती से उकेरी हैं शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव लिए रचना |पढ़ कर मन प्रफुल्लित हो गया |बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteआशा
ऐसा क्या लिख डाला तुमने ,
ReplyDeleteमेरे भावों में समा गईं तुम ,
अब न साथ छोड़ सकोगी मेरा ,
मैं तो रहूंगी तुम्हारे ही संग |
आशा
तुम उस दिव्य संगीत के सहारे
ReplyDeleteसातों सागर और सातों आसमानों को पार कर
सम्पूर्ण बृह्मांड पर अपने हस्ताक्षर चस्पाँ कर सको !
इस से बेहतर शुभकामनाएं और क्या हो सकती हैं....बहुत ही सुन्दर
उम्दा रचना सम्वेद्ना भी खुब और शिल्प भी..
ReplyDeleteडा.अजीत
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कितने प्यार से कितनी सारी जिम्मेदारियआ भी दे डाली...वाह क्या स्टाइल है..अपनी बात को कहने का और दूसरे को उन पर चलने को आग्रह करने का..
ReplyDeleteसुंदर शब्दों से सजी रचना.
लाजवाब है आपकी शुभकामनाएँ ....
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