लम्हा-लम्हा ज़िंदगी,
तिनका-तिनका नशेमन,
कतरा-कतरा हर खुशी,
रेशा-रेशा पैरहन !
जो कुछ है बस
ये ही मेरी पूँजी है,
दो सुर की सरगम से
दुनिया गूँजी है !
यह मेरे सारे
जीवन की बाज़ी है,
इस दौलत पर
दिल भी मेरा राजी है !
अगर तुम्हारे मन को
कुछ भी भाता है,
मुझे किफायत से भी
रहना आता है !
नहीं हटूँगी पीछे
आज कसम ले लो,
चाहो तो इसमें से
आधा तुम ले लो !
साधना वैद
अगर तुम्हारे मन को
ReplyDeleteकुछ भी भाता है,
मुझे किफायत से भी
रहना आता है !
वाह...बहुत सुन्दर ..
जो कुछ है बस
ReplyDeleteये ही मेरी पूँजी है,
दो सुर की सरगम से
दुनिया गूँजी है !
सुन्दर भाव
दो सुर की सरगम पर नाचती झूमती जिंदगी ...
ReplyDeleteमेरे सारे जीवन में कमाई इस दौलत से बड़ा कुछ नहीं ...
जीवन के लिए यह आत्मसंतोष बहुत आवश्यक है ...
सुन्दर !
अगर तुम्हारे मन को कुछ भी भाता है
ReplyDeleteमुझे किफायत से भी रहना आता है
यही तो है मन का संतोश जिससे जिन्दगी की जंग जीती जाती है ।
बहुत सुन्दर पंक्तिया
अगर तुम्हारे मन को कुछ भी भाता है
ReplyDeleteमुझे किफायत से भी रहना आता है
यही तो है मन का संतोश जिससे जिन्दगी की जंग जीती जाती है ।
बहुत सुन्दर पंक्तिया
अगर तुम्हारे मन को कुछ भी भाता है
ReplyDeleteमुझे किफायत से भी रहना आता है
यही तो है मन का संतोश जिससे जिन्दगी की जंग जीती जाती है ।
बहुत सुन्दर पंक्तिया
अगर तुम्हारे मन को कुछ भी भाता है
ReplyDeleteमुझे किफायत से भी रहना आता है
यही तो है मन का संतोश जिससे जिन्दगी की जंग जीती जाती है ।
बहुत सुन्दर पंक्तिया
बहुत भाव समेटे रचना |सुन्दर शब्द चयन |
ReplyDeleteआशा
जो कुछ है बस
ReplyDeleteये ही मेरी पूँजी है,
दो सुर की सरगम से
दुनिया गूँजी है !
बस ये दोनों सुर एक साथ लग जाएँ....फिर किसी और पूँजी की क्या जरूरत...
सुन्दर नज़्म