मुट्ठी भर आसमान
टुकड़ा भर धूप
दामन भर खुशियाँ
दर्पण भर रूप
इतना ही बस मैंने तुमसे माँगा है !
नींद भर सपने
कंठ भर गीत
बूँद भर सावन
नयन भर प्रीत
इससे ज्यादह कब कुछ मैंने माँगा है !
आँचल भर आँसू
ह्रदय भर पीर
शब्द भर कविता
पर्वत भर धीर
यह भी तो मैंने ही तुमसे माँगा है
यह भी क्या तुम
मुझे नहीं दे पाओगे ?
छोटी सी आशा भी
ना सह पाओगे ?
तुम कैसे 'भगवान'
मुझे शक होता है
जागे सबके भाग
मेरा क्यों सोता है !
साधना वैद
मुट्ठी भर आसमान
ReplyDeleteटुकड़ा भर धूप
दामन भर खुशियाँ
दर्पण भर रूप
इतना ही बस मैंने तुमसे माँगा है !
उसके घर देर है अंधेर नही .. दिल की भावनाओं को सुंदर से काग़ज़ पर उतारा है ...
आँचल भर आँसू
ReplyDeleteह्रदय भर पीर
शब्द भर कविता
पर्वत भर धीर
यह भी तो मैंने ही तुमसे माँगा है
बहुत भाव पूर्ण रचना....
बहुत उम्दा भावना प्रधान रचना!
ReplyDeleteAB BACH KYA? YE BHI TO SOCHIYE.
ReplyDeleteV K V
जिसके अच्छे भाग्य वो खुश होता है
ReplyDeleteजिसके खराब भाग्य वो रोता है
आँसू पीर कविता
ReplyDeleteधीर धूप खुशियाँ
रूप
यह भी तो मैंने ही तुमसे माँगा है ...
masum see khwahish ...masum sa sawaal ...
sundar!
भगवान से जो भी सच्चे दिल से माँगा जाए सब मिल जाता है ,लेने वाला होना चाहिए |मन में धीरज होना चाहिए |
ReplyDeleteआशा
मुट्ठी भर आसमान
ReplyDeleteटुकड़ा भर धूप
दामन भर खुशियाँ
दर्पण भर रूप
इतना ही बस मैंने तुमसे माँगा है !
वाह साधना जी बहुत सुन्दर रचना है बधाई
वाह जी क्या बात है? शक न कीजिये उन्ही की देन है इतनी सुन्दर कविताओं के रसास्वादन का अवसर हमे प्राप्त हो रहा है। बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteनींद भर सपने
ReplyDeleteकंठ भर गीत
बूँद भर सावन
नयन भर प्रीत
इससे ज्यादह कब कुछ मैंने माँगा है
इस भावपूर्ण रचना के लिए ढेरों बधाई...
नीरज
बहुत ही सुन्दर भाव भरे हैं।
ReplyDeleteJab koi ablamb naa bache to ishwar se aastha bhi dagmagaane lagti h...behad prabhavpurna rachnaa
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा रचना .....
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