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Wednesday, February 9, 2011

तम्हें न्याय मिलना चाहिए आरुषी

आरुषी ह्त्या काण्ड में सी बी आई की क्लोज़र रिपोर्ट पर न्यायालय के फैसले ने धीमी न्यायप्रक्रिया पर डिगती आस्था को थोड़ा सा सहारा दिया है ! वरना तो इस जघन्य काण्ड के अनसुलझे ही खत्म हो जाने का अंदेशा गहरा गया था ! सी बी आई ने शक की उँगली तलवार दंपत्ति की तरफ उठाई है ! परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी इसी ओर संकेत करते हैं लेकिन सबूतों के अभाव में कुछ भी सिद्ध करना असंभव हो जाता है !
अन्य कई सबूतों के अलावा किसीने भी इस तथ्य पर शायद गौर करने की ज़रूरत नहीं समझी कि आरुषी का अंतिम संस्कार आनन फानन में क्यों कर दिया गया ! अंतिम संस्कार के बाद फूल चुनने ( अस्थि संचयन ) की प्रक्रिया प्राय: तीसरे दिन की जाती है लेकिन आरुषी के केस में यह क्रिया अंतिम संस्कार के बाद उसी दिन देर रात को ही कर दी गयी और तलवार दंपत्ति उसी रात अस्थि विसर्जन के लिये हरिद्वार चले गये ! क्या यह जल्दबाजी मन में संदेह नहीं जगाती ? आम नागरिकों को ये सभी सूचनाएं समाचार पत्रों या टी वी के द्वारा उपलब्ध होती रही हैं ! कोई आश्चर्य नहीं कि अस्थि विसर्जन के साथ ही ह्त्या के लिये उपयोग में लाये गये हथियारों का भी गंगा में विसर्जन कर दिया गया हो ! बाकी सारे परिस्थितिजन्य साक्ष्य तो विचाराधीन हैं ही ! इतने सारे सबूतों के बाद भी एक मासूम को न्याय नहीं मिल पाता तो धिक्कार है ऐसी न्याय व्यवस्था पर ! समाज का हर वर्ग सांस रोके इस हादसे की जाँच प्रक्रिया पर नज़र गढ़ाए बैठा है ! केस को बेवजह उलझाया गया है और सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिये पर्याप्त समय दिया गया है ! लेकिन अब उम्मीद जगी है कि शायद उस मासूम बच्ची को न्याय मिल जाये जो बेवजह किसीकी क्षुद्र एवं विकृत मानसिकता का शिकार हो गयी ! तुम्हें न्याय मिलेगा आरुषी तुम्हें न्याय मिलना ही चाहिए !

साधना वैद

8 comments :

  1. मन को हिला जाती है आरुषी की हत्या कथा.
    तलवार दम्पति को चाहिए कि गुनाह कबूल कर लें.
    क्या उन्हें आरुषी की तड़पती आत्मा चैन से सोने देती है ?
    किस बदनामी से बचना चाहते हैं वे ?
    किस के लिए जीना चाहते हैं वे ?
    झूठे स्वाभिमान की खातिर.

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  2. इस बारे ज्यादा पता नही तो क्या कहे? कोन दोषी हे?

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  3. सामागिक सोच और संकुचित मानसिकता के कारण ही इस तरह के अपराध जन्म लेते हैं |न्याय तो मिलना ही चाहिए पर समाज के सोच का क्या ?
    आशा

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  4. न्याय मिलना चाहिए और जो दोषी हो , उन्हें सजा भी ...
    मगर तलवार दम्पति ही गुनाहगार हो , आवश्यक नहीं , हो सकता है मेरी सोच एकतरफा हो , मगर कोई अपनी एकलौती पुत्री को क्यूँ मारेगा !

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  5. aaj -tak maine jitani baar aarushi ke maa-baap ko T.V. par dekha hai, isase to yahi lagata hai ki unhe ,unake beti ki mrityu ka jara bhi dukh nahi hai. shayad shak sahi saabit ho, par hamara lok- tantr sabut par aadharit hai....denkhe hota hai kya ?जंगल राज ---ब्यंग.

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  6. इस हत्याकांड ने तो मन-मस्तिष्क झिंझोड़ कर रख दिया...कल देर तक NDTV पर बरखा दत्त के साथ कई महवपूर्ण व्यक्तियों के विमर्श देखे....पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए सैम्पल ही गलत भेजे गए....अगर सैम्पल बदलने की वजह और इसके पीछे किसका हाथ था, पता लग जाए तो कातिल पकड़ में आ जाएगा.

    और तब शायद कातिल ही बता पाए कि इस हत्या के पीछे मोटिव क्या था?

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  7. जब खेत को बाड़ ही खाने लगे तो क्या न्याय और क्या अन्याय ...बहुत दुखद घटना ...न्याय की उम्मीद खत्म हो चली है

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  8. talwar dampati ko bhi ye samjh lena padega ki bhagwan ne unhe janm dene ka adhikar to diya kintu marne ka adhikar apne pas hi rakha hai aur ab aarushi ko nyay milkar hi rahega...

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