Followers

Wednesday, August 31, 2011

तुम कुछ तो कहते








मैंने तो अपना सब कुछ तुम पर हारा था ,

तुम्हें अगर स्वीकार न था तुम कुछ तो कहते !


जाने कितने सपनों का मन पर साया था ,

जाने कितने नगमों में तुमको गाया था ,

जाने क्यों हर मंज़र में तुमको पाया था ‘

जाने क्यों बस नाम तुम्हारा दोहराया था ,

मैंने तो अपना हर सुख तुम पर वारा था ,

तुम्हें अगर स्वीकार न था तुम कुछ तो कहते !


जाने कितनी रातें आँखों में काटी थीं ,

जाने कितनी पीड़ा लम्हों में बाँटी थी ,

जाने कितने अश्कों की माला फेरी थी ,

जाने कितने किस्सों में चर्चा तेरी थी ,

तुमने था जो दर्द दिया मुझको प्यारा था ,

तुम्हें अगर स्वीकार न था तुम कुछ तो कहते !


दुःख ने जैसे दिल का रस्ता देख लिया है ,

अश्कों ने आँखों में रहना सीख लिया है ,

मन के सूने घर में बस अब मैं रहती हूँ ,

अपनी सारी व्यथा कथा खुद से कहती हूँ ,

बाँटोगे हर सुख दुःख कहा तुम्हारा ही था ,

तुम्हें अगर स्वीकार न था तुम कुछ तो कहते !


अब न किसीसे मिलने को भी मन करता है ,

अब न किसीसे कहने को कुछ दिल कहता है ,

अब मुझको प्यारी है अपनी ये तनहाई ,

सूनापन , रीतापन अपनी ये रुसवाई ,

मिटा न पाई बस जो, नाम तुम्हारा ही था ,

तुम्हें अगर स्वीकार न था तुम कुछ तो कहते !


साधना वैद

24 comments :

  1. दुःख ने जैसे दिल का रस्ता देख लिया है ,
    अश्कों ने आँखों में रहना सीख लिया है ,
    मन के सूने घर में बस अब मैं रहती हूँ ,
    अपनी सारी व्यथा कथा खुद से कहती हूँ ,

    बहुत ही भावुक रचना..... हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर...लाजवाब।

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुंदर, बेहतरीन रचना।

    ReplyDelete
  4. आज कि प्रस्तुति पर तो कुछ कहा ही नहीं जा रहा ... शब्द शब्द बस महसूस हो रहा है ..

    अश्कों की माला पाठक की आँखें नम करने में सक्षम है ... मन को छू गयी यह रचना ...

    ReplyDelete
  5. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  6. मन को छू गयी आप की रचना ..कुछ लाइन याद आ गयीं पढ़ते पढ़ते ..
    यही वफ़ा का सिला है तो कोई बात नहीं ....
    तुम्हीं ने दर्द दिया है तो कोई बात नहीं ...!!

    ReplyDelete
  7. साधना जी आज तो आपने निशब्द कर दिया यूँ लगा जैसे हर दिल की बात कह दी हो……………जैसे हर स्त्री के मन को उजागर कर दिया हो……………बेहतरीन भावुक रचना।

    ReplyDelete
  8. मैंने तो अपना हर सुख तुम पर वारा था ,
    तुम्हें अगर स्वीकार न था तुम कुछ तो कहते !

    बहुत सुंदर,लाजवाब, भावुक रचना. हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  9. अपनी यह तन्हाई यह सूना पन रीता पन
    अपनी यह रुसवाई मिटा न पाई बस वह नाम तुम्हारा था '
    बहुत गहरे भाव और शब्द दिल को छू गए |
    बधाई |
    आशा

    ReplyDelete
  10. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 01-09 - 2011 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में आज ... दो पग तेरे , दो पग मेरे

    ReplyDelete
  11. दुःख ने जैसे दिल का रस्ता देख लिया है ,

    अश्कों ने आँखों में रहना सीख लिया है ,

    मन के सूने घर में बस अब मैं रहती हूँ ,

    अपनी सारी व्यथा कथा खुद से कहती हूँ ,


    बहुत ही भावपूर्ण रचना

    ReplyDelete
  12. Aapki rachana padkar mahadevi verma
    ki 'main neer bhari dukh ki badli' yaad ho aai
    sundar rachana ke liye badhai.

    ReplyDelete
  13. बहुत खुबसूरत, लाज़वाब करती भावुक रचना....
    सादर बधाई...

    ReplyDelete
  14. बहुत ही बढ़िया।

    सादर

    ReplyDelete
  15. बहुत ही भावपूर्ण सुन्दर रचना.....

    ReplyDelete
  16. बेहतरीन अभिव्क्ति...

    ReplyDelete
  17. अब मुझको प्यारी है अपनी ये तनहाई ,

    सूनापन , रीतापन अपनी ये रुसवाई ,

    मिटा न पाई बस जो, नाम तुम्हारा ही था ,

    तुम्हें अगर स्वीकार न था तुम कुछ तो कहते !
    अति सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति ..हार्दिक शुभ कामनाएं !!!

    ReplyDelete
  18. मनोभावों को वेग देती सुंदर प्रस्तुति पर बधाई देना कम लग रहा है
    नमन

    ReplyDelete
  19. मिटा न पाई बस जो, नाम तुम्हारा ही था ,
    तुम्हें अगर स्वीकार न था तुम कुछ तो कहते !

    सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
    हार्दिक शुभ कामनाएं !!!

    ReplyDelete
  20. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  21. अब न किसीसे मिलने को भी मन करता है ,
    अब न किसीसे कहने को कुछ दिल कहता है ,
    अब मुझको प्यारी है अपनी ये तनहाई ,
    सूनापन , रीतापन अपनी ये रुसवाई ,
    मिटा न पाई बस जो, नाम तुम्हारा ही था

    अथाह दर्द सह लेने के बाद ऐसी ही कुछ हालत होना वाजिब है.

    कब तक कोइ नीर बहायेगा...एक दिन तो दर्द ही दोस्त बन जायेगा.

    ReplyDelete
  22. अब क्या कहूँ साधना जी जब जिसको कहना था उसने कुछ नहीं कहा तो अब हम क्या कहते.इतना दर्द वो भी जाना पहचाना सा कुछ सुनने की आस और कहीं बस मौन. वाह!!!! वाह!!! वाह!!!! और क्या कहूँ.इतनी खूबसूरत कृति पर मेरी बधाई स्वीकारें

    ReplyDelete