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Thursday, September 8, 2011

चूक कहाँ हुई है ?

कितने दुःख और चिंता का विषय है ! देश की राजधानी में दिन दहाड़े आतंकवादी अपने खतरनाक इरादों को अंजाम दे देते हैं और तरह-तरह के दावे करने वाले हमारे नेता और अपनी चाक चौबस्त रक्षा व्यवस्था की दुन्दुभी बजाने वाली हमारी पुलिस के आला अधिकारी ज़रूरत के वक्त नज़रें चुराते हुए दिखाई देते हैं ! हाई कोर्ट जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर सुरक्षा व्यवस्था इतनी लचर कैसे थी और क्यों थी कौन इसका जवाब देगा हमें ?
दरअसल प्रशासनिक अमले और पुलिस का सारा ध्यान नेताओं के इशारे पर निर्दोष और निहत्थी जनता का दमन करने में लगा रहता है क्योंकि यहाँ उसकी कार्यवाही की सफलता का परिणाम तुरंत दिखाई दे जाता है ! लेकिन गहरे बिलों में घुसे सतर्क और चौकस आतंकवादियों को पकड़ने में उन्हें भी शायद कोई दिलचस्पी नहीं रहती क्योंकि सफलता के आसार बहुत दूर और बहुत कम दिखाई देते हैं ! आखिर उन्हें भी तो अपने सेवा कार्यकाल में सफलता के लहराते परचम को ऊँचा रखना है , चंद मैडिल अपनी वर्दी पर और जड़वाने हैं और अपने अहम् की संतुष्टि भी करनी है ! क्या यही वजह नहीं है कि भ्रष्टाचार उन्मूलन के अन्ना हजारे के देशव्यापी अभियान के बाद नेताओं की सारी ऊर्जा, शक्ति और संसाधन अरविन्द केजरीवाल, किरण बेदी, बाबा रामदेव, प्रशान्तभूषण तथा इनके सहयोगियों को धूल चटाने की मुहिम में जुटी गयी और देश के बाकी सारे अहम कार्यों की अवहेलना की जाने लगी जिनमें आम जनता की सुरक्षा भी शामिल है और इसका दुष्परिणाम भी तुरंत ही देखने के लिये मिल गया !
सुरक्षा के नाम पर जनता का करोड़ों रुपया हर बार खर्च किया जाता है और नतीजा वही सिफर रहता है ! उदाहरण के लिये एक दृष्टान्त ही काफी है कि लगभग हर शहर में रेलवे प्लेटफार्म और बस अड्डों पर मेटल डिटेक्टर लगाए गये हैं ! सारे दिन सैकड़ों यात्री उनके बीच से गुज़रते हैं ! लगातार बीप भी बजती रहती है लेकिन कोई अधिकारी वहाँ चेक करने के लिये नहीं होता ! ऐसी ढीली व्यवस्था के चलते क्या कोई आतंकवादी शहर में प्रवेश नहीं कर सकता ? और जब मेटल डिटेक्टर लगाने का कोई अर्थ और औचित्य है ही नहीं तो किसलिए सरकार ने जनता से वसूले गये धन का इस तरह से दुरुपयोग किया ?
ऐसे दुर्दांत आतंकवादियों को बचाने के लिये, उन्हें फाँसी के फंदे से उतारने के लिये और मानवीय अधिकारों की दुहाई देकर जीवन भर उनके भरण पोषण का जिम्मा जनता के जर्जर कन्धों पर लादने के लिये हमारे नेता सदैव तैयार रहते हैं लेकिन यह नहीं सोचते कि जैसा भ्रष्टाचार हमारे सिस्टम में व्याप्त है उसके चलते इन्हें जेल के अंदर भी वे सारी सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं जिनके सहारे वे सुदूर स्थित अपने आकाओं के साथ लगातार संपर्क में बने रहते हैं और उन तक अपने देश की सारी गुप्त जानकारियाँ और गतिविधियों की सूचनाएं उपलब्ध कराते रहते हैं ! आतंकवादियों की इस तरह पैरवी करके क्या हम अपनी ही आस्तीनों में साँपों को पालने के लिये स्थान नहीं बना रहे हैं ? ज़रा सोचिये और अपने इन नेताओं के निरावृत चहरे देख कर इनकी नीयत को भी पहचानिये कि इनकी कथनी और करनी में कितना फर्क है और जो बातें ये कहते हैं उनमें कितना उनका अपना स्वार्थ निहित है और कितना जनता का ! जिस दिन जनता जागृत हो जायेगी और वह जान जायेगी कि असली देशद्रोही तो वे लोग हैं जो सारी सत्ता, शक्ति, अधिकार और सामर्थ्य रखते हुए भी जनता के हित की अनदेखी कर रहे हैं और अपना हित साधने में लगे हुए हैं उसी दिन भारत आत्मनिर्भर और स्वयम्भू हो जायेगा ! हमारे शासन तंत्र और नीति नियंताओं की सोच में कमियाँ ही कमियाँ हैं तभी तो मुट्ठी भर आतंकवादी ऐसी हरकतों को सफलता के साथ अंजाम दे लेते हैं और हमारी इतनी काबिल पुलिस, इतनी सामर्थ्यवान सेना और इतनी विशाल संसद में हर वक्त धमाल मचाये रहने वाले नेताओं की गर्वीली दम्भोक्तियाँ इन मुट्ठी भर आतंकवादियों के सामने बौनी सिद्ध हो जाती हैं ! ज़रा सोचिये चूक कहाँ हुई है !

साधना वैद

15 comments :

  1. आम आदमी की चिंता नहीं है इन नेताओं को ... अपनी और अपने परिवार की चिंता है ... राजनीति चमकाने में लगे रहते हैं ..

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  2. आम आदमी की चिन्ता कहाँ है सरकार को ...

    अभी एक ब्लॉग पर यह पढ़ा है ...आप अंदाजा लगाइए कि कैसे खोज करेंगे आतंकवादियों की..

    अभी एक चैनेल पर आई बी के पूर्व चीफ ने खुलासा किया की आई बी के कई अधिकारी आतंकवादीयों के हमले के बारे मे एलर्ट रहने की चेतावनी सरकार को दिए थे लेकिन सरकार ने आई बी के ८० % अधिकारियों को बाबा रामदेव , अन्ना हजारे , यदुरप्पा , नरेद्र मोदी , आचार्य बालकृष्ण , जगनमोहन रेड्डी , केजरीवाल आदि लोगो के पीछे लगा दिया है .

    इस देश की ख़ुफ़िया एजेंसियो का आज का हाल :

    १- सरकार तीन महीने से सेना की ख़ुफ़िया एजेंसियो को अन्ना हजारे के खिलाफ कुछ भी लुज पोल खोजने के लिए लगाया है ताकि अन्ना को बदनाम किया जा सके .

    २- अरविन्द केजरीवाल के पीछे ख़ुफ़िया विभाग की कुल बीस टीमों को लगाया गया है . वो कहा जाते है , किससे मिलते है आदि पर बहुत पैनी नज़र रखी जा रही है .
    सरकार ने उनके नौकरी के एक एक डाकुमेंट्स की बारीकी से जाँच करा रही है .

    ३- पिछले एक साल से सीबीआई की कई टीमों को जगन मोहन रेड्डी के पीछे लगाया गया है . क्योंकि वो कांग्रेस से बगावत किये है . सीबीआई उनके पीछे कितनी ताकत से जाँच कर रही है उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की राजकोट मे भी कई जगह सीबीआई ने जगन के खिलाफ कुछ खोजने के लिए कई बार छापेमारी कर चुकी है

    ४– आई बी के ९० % अधिकारियो को विपक्षी नेताओ के हर हलचल पर पैनी नज़र रखने के लिए लगाया गया है .

    ५– २००२ मे केबिनेट ने एन आई ए बनाने का प्रस्ताव पास किया लेकिन २००९ मे एन आई ए बना . आज भी एन आई ए का अपना कोई दफ़्तर नहीं है .

    ६- आचार्य बालकृष्ण के पीछे टोटल २४ टीमों को लगाया गया है जैसे कांग्रेस इनको सबसे बड़ा आतंवादी समझ रही है

    ये आज कांग्रेस का हाल है . जो भी इस देश मे भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ कुछ भी बोलेगा वो कांग्रेस की नज़र मे इस देश का सबसे बड़ा दुश्मन होगा . और उसके खिलाफ इस देश की हर एक जाँच एजेंसियों को लगा दिया जायेगा . तो फिर इस देश को तो धमाके होंगे ही .

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  3. असली देशद्रोही तो वे लोग हैं जो सारी सत्ता, शक्ति, अधिकार और सामर्थ्य रखते हुए भी जनता के हित की अनदेखी कर रहे हैं और अपना हित साधने में लगे हुए हैं उसी दिन भारत आत्मनिर्भर और स्वयम्भू हो जायेगा !

    यहाँ आपने सारी हकीकत बता दी ………अब इसके आगे कहने को क्या बचा।

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  4. वैचारिक क्रान्ति की मशाल prज्वलित रखने के लिये ऐसे लेख ईंधन का कार्य करते हैं... साधना वैद जी को इस राष्ट्र-आहुति के लिये साधुवाद.

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  5. संगीता जी ने भी कमाल के तथ्य jutaaye aur sheyar kiye ... ghrinaa mishrit aakrosh की agni tez huii.

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  6. सच में बहुत चिन्ता की बात है...सरकार की लापरवाही जनता को भुगतनी पड़्ती है....

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  7. सारी सुरक्षा कर्मी तो इन नेताओं की सुरक्छा में लगे रहतें हैं/ये तो बुलेट प्रूफ कार में चलते हैं /जनता के पैसों से ही सब सुविधा का फायदा उठाते हैं /और बम विस्फोट होने पर कोन से नेता मरते हैं, मरता है तो आम आदमी /तो क्या जरुरत है कुछ करने की दो दिन जनता हल्ला मचाएगी ,मीडिया शोर मचाएगी फिर सब शांत हो जायेंगे /और इन्तजार करेंगे अगले विस्फ़ोट का /मरने वाले के परिवार को कुछ पैसे दे दिए जायेंगे ,घायलों से मिलने अस्पताल चले जायेंगे /बड़ी बड़ी बाते ,औए वायेदे मीडिया के सामने किये जायेंगे / और उसके बाद सब भूल जायेंगे /रोयेंगे तो वो जिसके परिवार का कोई मरा या जिंदगी भर के लिए अपाहिज हुआ /जनता मर रही है इनकी तो मोज हो रही है /बहुत शानदार लेख लिखा आपने /बहुत बहुत बधाई /



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  8. चूक नहीं ये सब व्यवस्था की लापरवाही है.

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  9. आपके आलेख के साथ संगीता जी की टिप्पणी कभी बहुत कुछ इशारा करती है कि चूक क्यों हुई !

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  10. जब ऐसा कोई हादसा हो जाता है तो नेताओं-मंत्रियों का एक-दूसरे के सर पर दोष मढने का खेल शुरू हो जाता है...और कुछ ही दिनों बाद...ये लोग फिर अपने खजाने भरने में लिप्त हो जाते हैं..
    आम जनता यूँ ही इनकी झोली भरती रहेगी और सड़क पर मरती रहेगी...

    बहुत ही क्षुब्ध है मन

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  11. I am really very happy after going through your blog.

    Your post is meaningful. Your concerns are genuine. Really a must read post. Thanks.

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  12. ऐसी बातों से बहुत दुःख होता है |बेचारे निर्दोष लोग मारे जाते हैं और राज नेता अपनी अपनी रोटी सेकते हैं |बहुत सार्थक और सटीक लेख |बधाई
    आशा

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  13. विचारोत्तेजक आलेख .....

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  14. This comment has been removed by the author.

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