बापू तुमने तब जिन पर था विश्वास किया
वे तो सब के सब कागज़ के पुरजे निकले ,
था जिनकी बातों पर तुमको अभिमान बड़ा ,
वे तो सब के सब लालच के पुतले निकले !
क्यों आज लुटेरों का भारत में डेरा है ,
क्यों लोगों के मन को शंका ने घेरा है ,
क्यों नहीं किसीको चिंता रूठी जनता की ,
क्यों नहीं किसीको परवा आहत ममता की ,
बापू तुमने था जिनको यह भारत सौंपा ,
वे तो सब के सब बस खोटे सिक्के निकले !
क्यों आतंकी दहशत में जनता सोती है ,
क्यों हर पल मर मर कर यह जनता रोती है ,
क्यों आये दिन वहशत का साया रहता है ,
क्यों आये दिन मातम सा छाया रहता है ,
बापू तुम केवल लाठी लेकर चलते थे ,
लेकिन ये तो संगीनों के आदी निकले !
बापू हम संसद की गरिमा खो बैठे हैं ,
जाने कितने मंत्री जेलों में बैठे हैं ,
जाने कितनों के धन का काला रंग हुआ ,
जाने कितनों का खून पसीना एक हुआ ,
बापू जनता पर तुमने सब कुछ वारा था ,
पर ये सब जनता को दोहने वाले निकले !
बापू क्यों अब तक हमने तुमको बिसराया ,
क्यों नहीं तुम्हारी शिक्षाओं को दोहराया ,
अब जब भारत पर खुदगर्जों का साया है ,
इनको सीधा करने का अवसर आया है ,
बापू तुमने हमको जो राह दिखाई थी ,
उस पर चलने को कोटी-कोटि कदम निकले !
साधना वैद
चित्र गूगल से साभार
आज यदि बापू सच ही भारत की दशा देखें तो सौ सौ आँसू रोयेंगे ...
ReplyDeleteबापू भी आखिर में लाचार हो गए थे ... ऐसे हाथों में देश की कमान सौंप दी जिसका खामियाज़ा देश की जनता को उठाना पड़ रहाहै ..
बहुत अच्छी और सार्थक रचना है ..
बहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteवाह सच कहा .. सिक्के खोटे निकले .. और चलते रहे .. रोकने वालों ने ही चलाये खोटे सिक्के . सुन्दर उदगार बधाई
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना आज के सन्दर्भ में |पर क्या कभी यह नहीं लगता सिक्के खोट भी उपयोगी हो सकते हें |
ReplyDeleteआशा
सुन्दर उदगार .
ReplyDeleteविसंगतियों को अच्छा उभरा है..
ReplyDeleteबापू ने भी क्या-क्या सपने संजोये थे..सब मिथ्या निकले.
सार्थक रचना
आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (११) के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आप इसी तरह मेहनत और लगन से हिंदी की सेवा करते रहें यही कामना है /आपका
ReplyDeleteब्लोगर्स मीट वीकली
के मंच पर स्वागत है /जरुर पधारें /
बिलकुल सही कहा आपने।
ReplyDeleteसादर
एकदम सच्ची बातें...
ReplyDeleteसादर...
सुन ले बापू ये पैगाम .......
ReplyDeleteआज बापू पुनः अवतरित होते तो उनका मन जार जार रोता ...बहुत ही भावपूर्ण सार्थक रचना ...
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