पलक के निमिष मात्र से
क्षितिज में उठने वाले
प्रलयंकारी तूफान को तो
शांत होना ही था ,
तुम्हें बीहड़ जंगल में
अपनी राह जो तलाशनी थी !
गर्जन तर्जन के साथ
होने वाली घनघोर वृष्टि को भी
तर्जनी के एक इशारे पर
थमना ही था ,
तुम्हें चलने के लिये पैरों के नीचे
सूखी ज़मीन की ज़रूरत जो थी !
सागर में उठने वाली सुनामी की
उत्ताल तरंगों को तो
अनुशासित होना ही था ,
तुम्हारी नौका को तट तक
जो पहुँचना था !
ऊँचे गगन में
अपने शीर्ष को गर्व से ताने
सितारों की हीरक माला
गले में डाले उस पर्वत शिखर को भी
सविनय अपना सिर झुकाना ही था
कीर्ति सुन्दरी को उसका यह हार
तुम्हारे गले में जो पहनाना था !
राह की बाधाओं को तो
हर हाल में मिटना ही था
तुम्हें मंजिल तक जो पहुँचना था !
सांध्य बाला को भी अपने वाद्य के
सारे तारों को झंकृत करना ही था ,
उसे तुम्हारी स्तुति में
सबसे सुन्दर, सबसे मधुर,
सबसे सरस और सबसे अनूठे राग में
एक अनुपम गीत जो सुनाना है
तुम्हारी जीत के उपलक्ष्य में !
जीत का यह जश्न तुम्हें
मुबारक हो !
साधना वैद
.
ReplyDeleteसादर प्रणाम !
सांध्य बाला को भी
अपने वाद्य के सारे तारों को झंकृत करना ही था ,
उसे तुम्हारी स्तुति में
सबसे सुन्दर, सबसे मधुर,
सबसे सरस और सबसे अनूठे राग में
एक अनुपम गीत जो सुनाना है
तुम्हारी जीत के उपलक्ष्य में !
सुंदर शिल्प ! चमत्कृत करने वाला कथ्य !
अनुपम रचना !!
कहना पड़ेगा -
जीत का यह जश्न तुम्हें मुबारक हो !
:)
♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आपकी प्रेरक अभिव्यक्ति सुन्दर सरल
ReplyDeleteशब्दों से जीत के जश्न का अदभुत अहसास
कराती है.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
बेहद खूबसूरत भावो का संग्रह्।
ReplyDeletebhaabpurn abhivaykti...
ReplyDeleteभावों का उत्कृष्ट सम्प्रेषण ....आभार
ReplyDeleteइतनी सुन्दर रचना किसकी जीत के जश्न का दृश्य उपस्थित कर रही है ...
ReplyDeleteऐसी जीत जहाँ हर बाधा घुटने टेक दे ... बहुत भावपूर्ण रचना .
ek jashn manane ke liye kudrat ne kitna saath diya aur us se bhi jyada aapke shabd kosh ne kamaal kar diya. hatprabh hun.
ReplyDeletekash me chura paau kabhi is shabdkosh ke khajane ko aapse.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का आभारी हूँ,
ReplyDeleteआपकी सुन्दर टिपण्णी से मेरा मनोबल
बढ़ता है.
रसपूर्ण रचना ! अति सुंदर अभिव्यक्ति ! अति सजीव चित्रण ! बधाई ! आनंदित रहें !
ReplyDeleteभोला अंकल-कृष्णा आंटी
सुन्दर काव्य , काव्यशास्त्र के श्रेष्ठ रचना सोपान का निर्मल आनंद हुआ अंतर्मन से बधाई
ReplyDeleteअद्भुत अभिव्यक्ति. सुंदर भाव समेटे.
ReplyDeleteबधाई.
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति |
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी |
बधाई
आशा
एक अनुपम गीत जो सुनाना है ...
ReplyDeleteआपकी यह रचना ही अनुपम है...बहुत सुन्दर...
vo jeet jisaka jashna itani sundarta ke sath manane ka varnan kiya gaya hai , vaakai bahut badi upalabdhi hogi.
ReplyDeletemeri upalabdhi yahi hai ki itani sundar kavita hamen mili.
aabhar !
भावाभिवय्क्ति रचना.... .....
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति
ReplyDeleteसाधना जी, ये जश्न मुबारक हो।
ReplyDelete------
कभी देखा है ऐसा साँप?
उन्मुक्त चला जाता है ज्ञान पथिक कोई..
bahut sunder prastuti bahut badhaai aapko/आप ब्लोगर्स मीट वीकली (९) के मंच पर पर पधारें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आप हमेशा अच्छी अच्छी रचनाएँ लिखतें रहें यही कामना है /
ReplyDeleteआप ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर सादर आमंत्रित हैं /
अद्भुत भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर शिल्प और गज़ब के भाव लिए ...
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