Followers

Wednesday, November 7, 2012

सच ही तो है

आँखों में बसे सपने
आँखों में ही पनपते हैं,
जवां होते हैं,
और आँखों में ही
साकार होते हैं,
हकीकत में तो ये
नींद खुलते ही
दम तोड़ देते हैं
सच ही तो है !
मन में छिपी बात
बाहर आने से पहले
कितनी शिद्दत से
कितनी उत्कण्ठा से
मन में करवटें
लेती रहती है
लेकिन जब कहने का
अवसर आता है
ना जाने किस भय से
होंठों की लकीरों में ही
कहीं गुम हो जाती है
और अनकही बातें
किसी अंजाम तक
नहीं पहुँच पातीं
सच ही तो है !
प्रीत के रंग में रंगे
कुछ बेहद मधुर गीत
जो सदा कंठ से
प्रस्फुटित होने को
आकुल व्याकुल रहे
अनगाये ही रह गये
और अनसुने गीतों
का प्रभाव भला
किसी के मन पर
कब, क्यों
और कैसे पड़ेगा
सच ही तो है ! 
हर तरफ से हार
मन की हर वेदना
हर व्यथा को
हर आस
हर उम्मीद को
खतों का सहारा ले
जब पहुँचाना चाहा
वो खत दुर्भाग्यवश
अनपढ़े ही रह गये
जो फ़रियाद  
सुनी ही ना गयी
उसका इन्साफ भला  
कोई कैसे करे 
सच ही तो है !
बस अब तो यही
तय होना बाकी है
फैसला करने का हक
किसे मिलना चाहिये
फरियादी को
या फिर उसे जिसने  
हर सपने को तोड़ा
हर आँसू को
अनदेखा किया
हर फ़रियाद को
अनसुना किया
और इसे नियति
का नाम दे अपने
मन के बोझ को
हल्का कर लिया !

साधना वैद

14 comments :

  1. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ,,,,,साधना जी

    RECENT POST:..........सागर

    ReplyDelete
  2. बेहतरीन अभिव्यक्ति ..

    ReplyDelete
  3. सपनों के शब्द नहीं होते , सनसनी हवाओं की मानिंद आँखों में , मन की आँखों में लहराते रहते हैं और अपनी जमीन को उससे भरने की कोशिश करते हैं ... एक कतरा भी होठों से फिसला तो आँधियों के मध्य उन सपनों को संभालना मुश्किल होता है . सपनों को पनपने देना चाहिए - उनकी ऊँगली थामे धीरे धीरे ....
    सपने तोड़ने के लिए शुभचिंतकों की ही फ़ौज होती है ...

    ReplyDelete
  4. faisla fariyadi ka kaise hoga jab uski koi fariyad hothon ki lakeeron se baahar aane hi na payi...aur dosh bhi uska kya jis par har aansu ka iljaam lagaya ja raha hai ?

    kyu.....sach hi hai na ?

    ReplyDelete
  5. बहुत बहुत अच्छी रचना साधना जी...

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सुन्दर सार्थक रचना

    ReplyDelete
  7. कितने बदनसीब होते हैं वो बंद सपनों भरे खत...जिन्हें अपने आँसू खुद ही सोखने पड़ते हैं...
    ~समझ नहीं आ रहा, क्या कहूँ..- दिल भर आया...और सच कहूँ...? आँखें भी...
    ~सादर !

    ReplyDelete
  8. और इसे नियति
    का नाम दे अपने
    मन के बोझ को
    हल्का कर लिया !
    भावमय करते शब्‍द ...

    ReplyDelete
  9. ख्वाब ,
    तभी तक ख्वाब
    जब तक साकार न हों
    बात,
    तभी तक गहन
    तब तक अनकही हो
    खत ,
    तभी तक छुपाएं राज़
    जब तक अनपढ़े हों
    फैसला ,
    हक नहीं किसी को भी
    कोई निर्णय लिया जाये
    द्वंद्व में ही
    गुज़र जाये ज़िंदगी
    बेहतर है :):)

    बहुत भावपूर्ण रचना

    ReplyDelete
  10. सपनो का क्या है उनका तो काम ही है आते रहना.
    बेहतरीन साधना जी !!

    ReplyDelete
  11. बेहद खूबसूरत भाव लिए कविता |बहुत अच्छी प्रस्तुति |
    आशा

    ReplyDelete
  12. कोमल भाव से सजी बेहतरीन अभिव्यक्ति...
    बेहतरीन...

    ReplyDelete
  13. आप सभीके सद्भावनापूर्ण उद्गारों के लिये आभारी हूँ ! प्रोत्साहित करने के लिये हृदय से धन्यवाद !

    ReplyDelete